उच्चतम न्यायलय पहले भी 498ए के दुरुपयोग पर चिंता जता चुका है। वर्तमान में अतुल सुभाष मामले ने दहेज कानून के दुरुपयोग पर बहस को एक बार फिर से हवा दे दी है।देश में चर्चा का विषय बने बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष आत्महत्या मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी एक मामले में अपना नजरिया बदला है। अदालत ने गुजारा भत्ता तय करने का एक 8 सूत्रीय फार्मूला तय किया है।
बेंगलुरु के इंजीिनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या से पहले लिखे सुसाइड नोट में अपनी पत्नी और ससुराल पक्ष पर शोषण का आरोप लगाया है। बिहार निवासी अतुल ने आत्महत्या से पहले करीब 80 मिनट का एक वीडियो रिकॉर्ड किया था। इसके अलावा उन्होंने 24 पन्नों के सुसाइड नोट में न्याय व्यवस्था की आलोचना की थी।
सुप्रीम कोर्ट पहले भी आईपीसी की धारा 498ए के दुरुपयोग की बढ़ती प्रवृत्ति के बारे में चिंता जता चुका है, जो विवाहित के खिलाफ पति और ससुराल पक्ष के रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता की बात करती है।
अतुल के अंतिम सन्देश के अनुसार उनकी अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया और उसके परिवार ने अतुल से रक़म हासिल करने के लिए उन पर और उनके परिवार पर कई मामले दर्ज किए थे।
मंगलवार को एक तलाक केस का फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीवी वराले की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने गुजारा भत्ता राशि को लेकर सभी अदालतों को सलाह दी। अदालत ने फैसला सुनाते हुए निम्न कारकों के आधार पर न्याय की बात कही है। इस संबंध में अदालत ने विवाह विच्छेद और भरण पोषण की राशि निर्धारण हेतु 8 सूत्रीय फॉर्मूला दिया है।
- पति-पत्नी की सामाजिक और आर्थिक हैसियत
- भविष्य में पत्नी-बच्चों की बुनियादी जरूरतें
- दोनों पक्षों की योग्यता और रोजगार
- आमदनी के साधन और संपदा
- पत्नी का ससुराल में रहते हुए रहन सहन का स्तर
- क्या परिवार की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ी है?
- नौकरी न करने वाली पत्नी के लिए कानूनी लड़ाई की उचित रकम
- पति की आर्थिक हैसियत, उसकी कमाई और गुजारे-भत्ते के साथ अन्य जिम्मेदारियां क्या होंगी
आदेश देते हुए कोर्ट का कहना था कि गुजारा भत्ता की राशि इस तरह से तय की जानी चाहिए कि पति को दंडित न किया जाए, बल्कि पत्नी के लिए एक सभ्य जीवन स्तर सुनिश्चित हो। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उपरोक्त कारक के आधार पर कोई सीधा-सादा फार्मूला न बनाते हुए स्थायी गुजारा भत्ता तय करते समय दिशा-निर्देश के रूप में काम हो।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने एक अन्य घटनाक्रम में, एक व्यक्ति और उसके माँ-बाप के खिलाफ दहेज के मामले को खारिज करते हुए, कहा कि इस प्रावधान का कभी-कभी पति और उसके परिवार के खिलाफ व्यक्तिगत बदले के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
बताते चलें कि अतुल और निकिता का रिश्ता एक वेबसाइट के माध्यम से हुआ था और दोनों ने 2019 में शादी की थी। एक साल बाद दोनों के एक बेटा हुआ। अतुल सुभाष ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी का परिवार उससे लाखों की रक़म की डिमांड करता था लेकिन जब उसने पैसे देने से मना कर दिया तो उसकी पत्नी 2021 में बच्चे को लेकर उनका बेंगलुरु वाला घर छोड़कर चली गई।
इस मामले में पहले उसकी पत्नी और उसके परिवार ने केस को सेटल करने के लिए एक करोड़ रुपये की मांग की थी जो बाद में बढ़ाकर 3 करोड़ कर दी गई थी। अपने 24 पन्नों के सुसाइड नोट के हर पन्ने पर बेंगलुरु के अतुल ने न्याय की मांग की थी।