नई दिल्ली। तीन तलाक के विवादास्पद मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का बहुप्रतीक्षित फैसला मंगलवार को सुनाया गया। उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक का फैसला सुनाते हुए इस पर 6 महीने का बैन लगाया है। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक नहीं माना। कोर्ट ने केन्द्र सरकार से तीन तलाक मामले में नया कानून बनाने के लिए भी कहा है। मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस बारे में फैसला सुनाया है।
संविधान पीठ को यह मामला गत मई में सौंपा गया था। पीठ के अन्य न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति यू यू ललित तथा न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। उच्चतम न्यायालय के ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान लगातार छह दिन तक इस मामले पर सुनवाई करने के बाद पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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उसने मुस्लिम महिलाओं की सात याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें तीन तलाक की वैधता को चुनौती दी गई है। केन्द्र सरकार ने पीठ के समक्ष कहा है कि यदि न्यायालय तीन तलाक को अवैध और असंवैधानिक पाता है तो वह मुस्लिम समुदाय में विवाह और तलाक के नियमन के लिए एक कानून बनाएगा। सुनवाई के दौरान न्यायालय यह स्पष्ट कर चुका है कि वह सिर्फ इस बात पर निर्णय देगा कि क्या तीन तलाक मुस्लिम समुदाय के मूलभूत इस्लामी कानून का हिस्सा है न कि बहुविवाह पर।