पड़ोसी देश बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं। इस बार इन लोगों की मांग है कि राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को हटाया जाए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगलवार को देर रात राष्ट्रपति के निवास स्थान बंगभवन के सामने प्रदर्शन किए जाने के समाचार हैं। इस प्रदर्शन में दौरान हजारों लोगों ने जमा होकर नारेबाजी की।
प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने आवामी लीग के छात्र संगठन बांग्लादेश छात्र लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है साथ ही उनकी मांग है कि 1972 में लिखे गए संविधान को समाप्त किया जाए तथा 2024 के परिप्रेक्ष्य में नया संविधान लिखने का आह्वान किया जाना चाहिए।
बांग्लादेश में राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के एक बयान के बाद छात्रों ने बंगभवन को घेरा और नारेबाजी की। इन छात्रों का यह भी कहना है कि शेख हसीना के नेतृत्व में वर्ष 2018 और 2024 में कराए गए चुनावों को अवैध घोषित किया जाए।
पुलिस प्रशासन ने इस प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग की मदद ली मगर उग्र भीड़ ने इसे भी हटाने का प्रयास किया। हालात को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसूगैस का सहारा लेना पड़ा।
बताते चलें कि मंगलवार दोपहर को ढाका में शहीद मीनार के मध्य एक रैली में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति के इस्तीफे सहित पांच सूत्री मांगों की घोषणा की है। इस गुट के नेतृत्व में ही प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने का काम किया गया था।
नारे लगा रहे इन उग्र प्रदर्शनकारियों ने बंगभवन के बाहर धरना देते हुए बांग्लादेश के राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग की है। नाराज प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति को शेख हसीना का करीबी बताते हुए उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने एक बयान में कहा है कि उनके पास ऐसे कोई दस्तावेज नहीं हैं, जिससे यह साबित होता है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ने से पहले अपने पद से इस्तीफा दिया था। वहां इसके बाद विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए।
गौरतलब है कि मोहम्मद शहाबुद्दीन बांग्लादेश के 16वें राष्ट्रपति हैं। साल 2023 के राष्ट्रपति चुनाव में अवामी लीग के नामांकन में उन्हें निर्विरोध चुना गया था।
इन प्रदर्शनकारी छात्रों का यह भी कहना है कि शेख हसीना के नेतृत्व में वर्ष 2018 और 2024 में कराए गए चुनावों को अवैध घोषित किया जाए और इन चुनावों में जीतने वाले सांसदों को अयोग्य घोषित किया जाए।
विरोध-प्रदर्शन का सिलसिला तब शुरू हुआ जब जुलाई में बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग की गई। जुलाई-अगस्त माह के विद्रोह की भावना को ध्यान में रखते हुए यह छात्र गणतंत्र की घोषणा की मांग कर रहे हैं।