बीजिंग. दलाई लामा से मुलाकात हमारी नजर में बड़ा जुर्म. चीन ने शनिवार को वर्ल्ड लीडर्स को दलाई लामा से मुलाकात पर वॉर्निंग दी है। चीन ने कहा कि वर्ल्ड लीडर अगर दलाई लामा से मुलाकात करते हैं, तो हम इसे बड़ा जुर्म मानेंगे। चीन दलाई लामा को अलगववादी बताता है, क्योंकि वे तिब्बत को चीन से अलग करने की कोशिश कर रहे हैं। चीन लगातार दलाई लामा का विरोध करता रहा है, उसका कहना है कि डिप्लोमैटिक रिश्ते रखने वाले देशों के लिए तिब्बत को चीन का हिस्सा मानना जरूरी है।
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CPC) लीडर जैन्ग यीजीओंग ने कहा, “कोई भी देश और कोई भी संस्था जो दलाई लामा से मुलाकात करेगा, तो ये चीन के लोगों की भावनाओं के मद्देनजर बड़ा जुर्म होगा। चीन को वैध सरकार के तौर पर स्वीकार करने वाले देशों के लिए ये नियमों का बड़ा उल्लंघन होगा। हम दूसरे देशों और वहां के लीडर्स का ये तर्क नहीं मानेंगे कि उन्होंने दलाई लामा से रिलीजियस लीडर के तौर पर मुलाकात की।”
जैन्ग यीजीओंग ने कहा, “हम साफ कर देना चाहते हैं कि 14th दलाई लामा, जिन्हें बुद्ध कहा जाता है, वो धर्म के चोले में एक पॉलिटिकल फिगर हैं।”
भारत का नाम लिए बगैर कहा, “दलाई लामा दूसरे देश में चले गए। अपनी मातृभूमि के साथ धोखा किया और अपनी कथित सरकार को भी निर्वासित छोड़ दिया। इस कथित सरकार का अलगवावादी एजेंडा है- तिब्बत को चीन से अलग करना। दशकों से दलाई लामा का ग्रुप इस लक्ष्य को पाने की कोशिश कर रहा है।”
इसी साल अप्रैल में स्प्रिचुअल लीडर दलाई लामा अरुणाचल के दौरे पर गए थे। चीन ने इसका विरोध किया था और अरुणाचल के मैप में 6 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन लु कांग ने इस भड़काऊ फैसले को “लेजिटिमेट” (कानूनन सही) बताया था और कहा था कि दलाई लामा की एक्टिविटी भारत के चीन से किए गए वादों के खिलाफ हैं।
अरुणाचल पर क्या है चीन का दावा?
अरुणाचल प्रदेश की 1126 किलोमीटर लंबी सीमा चीन के साथ और 520 किलोमीटर लंबी सीमा के साथ मिलती है। चीन का दावा है कि अरुणाचल पारंपरिक तौर पर दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है, वहीं भारत अक्साई चिन इलाके को अपना बताता है। 1962 के युद्ध में चीन ने अक्साई चिन वाले हिस्से पर कब्जा कर लिया था।