दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल ने मंगलवार को महज़ कुछ घंटों के बाद देश में मार्शल लॉ हटाने की घोषणा कर दी।राष्ट्रपति योल ने टीवी पर आकर देश में मार्शल लॉ लगाने का एलान किया। इसके पीछे उन्होंने विपक्ष पर सत्ता-विरोधी गतिविधियों में शामिल होकर सरकार को कमजोर बनाने का आरोप लगाया।
राष्ट्रपति ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि जल्द ही कैबिनेट बुलाई जाएगी और संसद में मतदान के बाद मार्शल लॉ हटा दिया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसी के मुताबिक, देश में मार्शल लॉ लागू करने के ख़िलाफ़ तीखी प्रतिक्रिया हुई और आखिरकार दक्षिण कोरिया की कैबिनेट ने मार्शल लॉ हटाने को मंजूरी दे दी।
दक्षिण कोरियाई सांसदों ने इसका कड़ा विरोध किया, जिसके नतीजे में 300 सदस्यीय संसद में से 190 सदस्यों ने मार्शल लॉ के ख़िलाफ़ वोट किया।
सरकार के ही मंत्रियों और विपक्ष की मार्शल लॉ के खिलाफ एकजुटता का असर यून पर भी पड़ा और उन्होंने इसे लगाने के छह घंटे बाद ही वापस ले लिया। इस बीच संसद के बाहर भी सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हो गए। इन लोगों ने राष्ट्रपति योल के खिलाफ नारेबाजी की और उनकी गिरफ्तारी की मांग भी की।
राष्ट्रपति के इस फैसले के खिलाफ लोग सड़कों पर भी उतर आए, जिसके बाद पुलिस और सेना के विशेष बलों ने संसद के प्रवेश द्वारों को बंद कर दिया और सदस्यों को संसद में प्रवेश करने से रोक दिया। सख्त घेराबंदी के बावजूद सदस्यों ने पुलिस की घेराबंदी तोड़ दी।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के मुताबिक, राजधानी सियोल में इस समय बड़ी संख्या में नागरिक सड़कों पर उतर आए हैं और मार्शल लॉ के फैसले को वापस लेने का जश्न मना रहे हैं।
दक्षिण कोरिया में इमरजेंसी लगाने के कुछ ही घंटों बाद इसे हटाने का एलान कर दिया गया मगर चौंकाने वाली बात है कि अपने इस फैसले के पीछे योल ने विपक्ष को सत्ता-विरोधी ताकत और लोकतंत्र के लिए खतरा करार दिया था।
हालांकि, उनके द्वारा मार्शल लॉ के एलान ने केवल विपक्ष ही नहीं बल्कि देश के सभी सांसदों को एकजुट कर दिया, जिन्होंने संसद में साथ आकर राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ एकजुटता दिखाई।
इस घेराबंदी के बाद भी 190 सांसद किसी तरह संसद पहुंचने में कामयाब रहे और उन्होंने राष्ट्रपति योल के मार्शल लॉ के एलान के खिलाफ प्रस्ताव पर मतदान भी किया। इन सभी सांसदों ने मार्शल लॉ हटाने के पक्ष में एकतरफा वोटिंग की।
ऐसे में सरकार के ही मंत्रियों और विपक्ष की मार्शल लॉ के खिलाफ एकजुटता का असर योल पर भी पड़ा और उन्होंने इसे लगाने के छह घंटे बाद ही वापस ले लिया। इस बीच संसद के बाहर भी सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हो गए। इन लोगों ने राष्ट्रपति योल के खिलाफ नारेबाजी की और उनकी गिरफ्तारी की मांग भी की।
अनुमान लगाया जा रहा है कि योल की नाराजगी दक्षिण कोरिया की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी से है, जिसने हाल ही में देश के अगले साल खर्च के लिए तय 677 ट्रिलियन वॉन के बजट से 4.1 ट्रिलियन वॉन की कटौती की है। इस पर राष्ट्रपति ने कहा था कि विपक्ष ने देश चलाने के लिए सभी अहम जरूरतों के खर्च में कटौती करना शुरू कर दिया है।
ख़बरों के मुताबिक़, दक्षिण कोरिया के मुख्य मजदूर संघ ने योल के इस्तीफे तक अनिश्चितकाल हड़ताल का एलान किया है। उन पर लोकतंत्र विरोधी कदम उठाते हुए संघ का आरोप है कि राष्ट्रपति योल की खुद की पीपुल्स पावर पार्टी (पीपीपी) ने उनके मार्शल लॉ लगाने के कदम को भयानक करार दिया है और मांग की है कि इस फैसले से जुड़े लोगों की जिम्मेदारी तय हो।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद राष्ट्रपति यून सुक योल पर दबाव बढ़ गया है। विपक्षी पार्टियों ने उन्हें पद से इस्तीफा देने या फिर महाभियोग की कार्यवाही का सामना करने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दे दी है।