भारत के राज्यों के जीडीपी कंट्रीब्यूशन पर आधारित प्राइम मिनिस्टर इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल ने एक रिपोर्ट जारी की है। राज्यों के आर्थिक प्रदर्शन को दर्शाती यह रिपोर्ट अर्थव्यस्था से जुड़े कई खुलासे करती है।
भारत के राज्यों का आर्थिक प्रदर्शन दिखाने वाली यह रिपोर्ट साल 1960-61 से 2023-24 तक का विवरण प्रस्तुत करती है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद यानी ईएसी-पीएम की यह रिपोर्ट बताती है कि उदारीकरण के बाद दक्षिणी राज्य आगे बढ़े हैं।
ईएसी-पीएम की यह रिपोर्ट बताती है कि उत्तर प्रदेश की भागीदारी 1960-61 में 14 फीसदी थी जो गिरकर 9.5 फीसदी हो गई है।
भारत के सकल घरेलू उत्पाद में दक्षिणी राज्यों का महत्वपूर्ण योगदान दिखाने वाली यह रिपोर्ट कई तरह के ब्योरे सामने लाती है। रिपोर्ट बताती है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 30 फीसदी हिस्सा कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु राज्य सामूहिक रूप से प्रस्तुत करते हैं।
रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश तथा बिहार के सकल घरेलू उत्पाद के योगदान में कमी देखने को मिली है। उत्तर प्रदेश की भागीदारी 1960-61 में 14 फीसदी थी जो गिरकर 9.5 फीसदी हो गई है। जबकि तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला राज्य बिहार केवल 4.3 प्रतिशत का योगदान दे रहा है।
भारत के शीर्ष सकल घरेलू उत्पाद में महाराष्ट्र का योगदान सर्वाधिक है। हालाँकि इसका योगदान पूर्व के 15 प्रतिशत से घटकर 13.3 फीसदी हो गया है। मार्च 2024 तक महाराष्ट्र की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत का 150.7 फीसदी है। दिल्ली सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में से एक है। इसी क्रम में हरियाणा का भी अच्छा प्रदर्शन देखने को मिला है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि जो पश्चिम बंगाल भारत के शीर्ष योगदानकर्ताओं में से एक था, उसमे लगातार गिरावट देखी गई है। यहाँ का सकल घरेलू उत्पाद 1960-61 में 10.5 फीसदी था। यह गिरकर 5.6 फीसदी है।
पश्चिम बंगाल की प्रति व्यक्ति आय, जो कभी राष्ट्रीय औसत का 127.5 प्रतिशत थी, घटकर 83.7 फीसदी हो गई। बताते चलें कि इस समय पश्चिम बंगाल राजस्थान और ओडिशा से भी नीचे है। हालांकि, इस रिपोर्ट में ओडिशा में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है।
1960-61 में पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 10.5 फीसदी योगदान देने वाले भारत के शीर्ष योगदानकर्ताओं में था मगर अब इसकी भागीदारी गिरकर 5.6 फीसदी रह गई है।