शिक्षा सुधारक और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 7 अप्रैल को चीन सीमा की ओर मार्च करने के लिए लोगों से अपील की है।
27 मार्च को सोनम वांगचुक ने ‘पशमीना मार्च’ का आह्वान किया था। इस आह्वान के एक दिन बाद उन्होंने लद्दाख को राज्य का दर्जा और अधिकारों की सुरक्षा के लिए अपनी 21 दिन की भूख हड़ताल वापस ली थी।
सोनम वांगचुक ने अपनी 21 दिन लंबी भूख हड़ताल के दौरान लद्दाख के लोगों से भारत-चीन सीमा पर चारागाह भूमि के कथित अतिक्रमण की जांच के लिए मार्च करने तथा उसमें शामिल होने की अपील की थी।
PEACEFUL LADAKH IS VERY CONFUSED!
After 31 days of extremely peaceful prayers & fasts…
Suddenly peace initiatives of the administration sounds more dangerous than anything !PEACE AT ANY COST !!?#SaveLadakh #SAVEHIMALAYAS #SaveGlaciers #6thSchedule #SupportSonamWangchuk pic.twitter.com/ZRbPZ3V8Kv
— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) April 5, 2024
सोनम वांगचुक के मुताबिक़ यह मार्च गाँधी जी के पदचिन्हों पर चलते हुए अपनी मांगों के प्रति केंद्र का ध्यान आकर्षित करना है। उनका कहना है कि वह बेहद शांतिपूर्ण तरीकों से सत्ता का ध्यान अपनी समस्याओं की तरफ दिलाने और उनके हल किये जाने की बात कर रहे हैं।
जबकि दूसरी तरफ इस मार्च को देखते हुए प्रशासन मुस्तैद हो गया है। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रशासन ने लेह में धारा 144 लगाने का आदेश दिया है। इसके अलावा पुलिस ने अगले 24 घंटे के लिए इंटरनेट स्पीड को भी कम करते हुए 2जी तक सीमित करने का आदेश जारी किया है।
आदेश में कहा गया है कि लेह शहर और उसके आसपास के 10 किमी के दायरे में शनिवार शाम 6 बजे से रविवार शाम 6 बजे प्रतिबन्ध लागू होगा।
लेह के जिला मजिस्ट्रेट की तरफ से आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू करते हुए एक और नोटिस जारी किया गया था। इस आदेश के तहत किसी भी जुलूस, रैली या मार्च, सार्वजनिक समारोहों और बिना अनुमति के वाहन पर लगे लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है।
बताते चलें कि शुक्रवार को सोनम वांगचुक ने दावा किया कि शांतिपूर्ण मार्च की योजना के बावजूद, प्रशासन आंदोलन में भाग लेने वाले लोगों को डराने के साथ बांड पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव डाल रहा है। अपने दावे में उनका कहना था कि चूंकि लद्दाख एक केंद्र शासित प्रदेश है इसलिए प्रशासन को नई दिल्ली से निर्देश मिल रहे हैं।