महाराष्ट्र में दस दिन से जारी सियासी उलट फेर पर सुप्रीम कोर्ट का रुख साफ़ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाविकास आघाड़ी सरकार को राहत देने से इन्कार कर दिया है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी परदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि लोकतंत्र के मसलों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट एकमात्र तरीका है।
पीठ ने प्रभु के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से सवाल किया कि बहुमत परीक्षण बागी सदस्यों की अयोग्यता प्रक्रिया को कैसे प्रभावित करेगा? या स्पीकर की शक्तियों में दखल कैसे है?
महाराष्ट्र संकट: सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट पर रोक से इनकार के बाद उद्धव ठाकरे का इस्तीफ़ाhttps://t.co/8ZfxKkX9VB#UddhavThackarey #MaharashtraPoliticalCrisis #BJP #Shivsena #उद्धवठाकरे #महाराष्ट्रसियासीसंकट #भाजपा #शिवसेना
— द वायर हिंदी (@thewirehindi) June 30, 2022
इस फैसले पर अपनी रज़ामंदी देते हुए उद्धव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है उसे मानना पड़ेगा। मुझे मुख्यमंत्री पद छोड़ने की कोई चिंता, दुख नहीं है। मैं जो करता हूं शिवसैनिक, मराठी और हिंदुत्व के लिए करता हूं। अपनी बात में उन्होंने आगे कहा कि मैं चुप बैठने वाला नहीं हूं। मैं डरने वाला नहीं हूं। मैं बृहस्पतिवार से शिवसेना भवन में बैठूंगा। शिवसैनिकों से संवाद साधूंगा और एक नई शिवसेना तैयार करूंगा। शिवसेना पर ठाकरे परिवार का एकाधिकार जमाते हुए उन्होंने कहा कि शिवसेना ठाकरे परिवार की है और इसे हमसे कोई नहीं छीन सकता। कई शिवसैनिकों को नोटिस भेजा गया है। मेरी शिवसैनिकों से अपील है कि जब बागी विधायक मुंबई आए तो कोई उनके सामने न आए। वे सड़कों पर न उतरें।
उद्धव ने अपने बयान में शिवसेना के बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि यह जो हुआ वह अनपेक्षित था। जिन्हें शिवसेना ने बड़ा बनाया, जिन चाय वाले, रेहड़ी वाले को पार्षद, विधायक, सांसद और मंत्री बनाया, वे शिवसेना के उपकार को भूल गए और दगाबाजी की। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद जो संभव था, वह दिया फिर भी वे नाराज हो गए।