लखनऊ। पूरे देश में ईद उल अजहा यानि बकरीद धूम धाम से मनाई जा रही है। ईद उल अजहा की नमाज अदा कर लोगों ने एक दूसरे को बधाई दी और देश में अमन शांति के लिए दुआ मांगी। एक बार फिर देश की राजधानी दिल्ली और नवाबों का शहर लखनऊ बकरीद के दिन शिया-सुन्नी का एकता की तरफ़ एक क़दम और बढ़ाया। जहां शाह नजफ़ इमामबाड़े में शिया और सुन्नी समुदाय के लोगों ने एक साथ बकरीद की नमाज़ अदा की। इतना ही नहीं सिख समुदाय ने मुस्लिम समाज के लोगों का स्वागत किया। ये नमाज़ ‘शोल्डर टू शोल्डर फाउंडेशन के द्वारा आयोजित की गयी। फाउंडेशन का मकसद लोगों को साथ लाना है। shia sunni joint namaz
इस दिन को मुसलमान अल्लाह की राह में कुर्बानी देकर मनाते हैं। इस्लाम में माह जिलहिज्जा की सच्ची और पक्की इबादत कुर्बानी को ही माना गया है। जिलहिज्जा हज का महीना कहलाता है। मुसलमानों में इस महीने के पहले 10 दिन अल्लाह की इबादत के लिए विशेष माने जाते हैं। इस मौक़े पर लखनऊ की ईदगाह के साथ आसिफ़ी इमाबाड़े में नमाज़ अदा की गयी।
लखनऊ में सबसे खास नमाज़ रही शाह नजफ़ इमामबाड़े में। जहां शियों और सुन्नियों ने एक साथ नमाज़ पढ़ी। जिसमें मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के उपाध्यक्ष और शिया धर्मगुरू मौलाना कल्बे सादिक़ भी शामिल रहे। गौरतलब है कि हमेशा से ही शिया और सुन्नी अलग-अलग नमाज अदा करते आए हैं। ये कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि शियों और सुन्नियों में भारत के अलावा भारत के बाहर भी तनाव देखने को मिलता है। इतना ही नहीं शोल्डर टू शोल्डर संस्था के सदस्य सिख समुदाय के लोगों ने नमाज़ियों का स्वागत किया। लखनऊ में गंगा जमनी तहज़ीब पर आधारित ये पहल पिछले साल देखने को मिली थी। जब सिब्तैनाबाद में बकरीद की नमाज़ एक साथ दोनों समुदायों ने मिलकर अदा की थी।
देश और प्रदेश के दूसरे हिस्सों में भी बकरीद की नमाज़ अकीदत के साथ पढ़ी गयी। आगरा में ताज महल परिसर स्थित मस्जिद में नमाज अदा की और देश में अमन चैन दुआ मांगी। मंगलवार को ताजमहल में ईद के कारण सुबह 7 से 10 तक देशी विदेशी पर्यटको के लिए प्रवेश फ्री रखा गया था। मुल्क में अमन शांति बनी रहे और सभी प्रेम से रहें इसी दुआ के साथ कानपुर के रेलबाजार में महिलाओं ने बकरीद पर नमाज अदा की। रेलबाजार में पुरानी परंपरा है, जहां पर महिलाएं नमाज अदा करती है। आजाद पार्क में बनी ईदगाह ही ऐसी है जहां पर महिलाएं नमाज अदा करती हैं। यह सिलसिला लगभग 80 साल से चला आ रहा है। shia sunni joint namaz