प्रसिद्ध लोक संगीत गायिका शारदा सिन्हा का 72 साल की अवस्था में कल रात निधन हो गया। मंगलवार रात दिल्ली एम्स में शारदा सिन्हा ने अंतिम सांस ली। उनका पार्थिव शरीर दिल्ली से सुबह की फ्लाइट से पटना भेजा गया।
शारदा सिन्हा साल 2017 से ही मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित थीं। उनका इलाज एम्स के कैंसर संस्थान इंस्टिट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्टिपतल के आईसीयू में जारी था। कल से उनको ज्यादा तबीयत खराब होने के कारण दिल्ली एम्स में वेंटिलेटर पर रखा गया था।
लोक गायिकी की ऊंचाइयां छूने वाली बिहार की स्वर कोकिला 22 अक्टूबर से एम्स में थीं और यहाँ आईसीयू में डॉक्टरों की विशेष निगरानी में उनका इलाज चल रहा था।
इसी बीच उनके पुत्र अंशुमान सिन्हा ने 30 अक्टूबर को शारदा सिन्हा के नए गीत का ऑडियो जारी करके बिहार के लोगों को छठ का नया तोहफा दिया था। उन्होंने हिंदी सहित मैथिली, भोजपुरी, बज्जिका में हजारों गाने गाए हैं। छठ गीत के अलावा विवाह, मुंडन, जेनुउ और हिंदी फिल्मों के लिए उन्होंने हज़ारों गीतों को अपनी आवाज़ दी है।
बिहार के सुपौल जिला के हुलास गांव में पहली अक्तूबर 1952 को जन्मी शारदा के पिताजी का नाम सुखदेव ठाकुर था जो शिक्षा विभाग में थे। आठ भाई-बहन में शारदा सिन्हा न सिर्फ इकलौती बहन थीं बल्कि बीते 40 सालों से उनके परिवार में बेटी का जन्म नहीं हुआ था।
बेहद लाड-प्यार में पली शारदा को बचपन से ही गाने का शौक था। पिता ने उनका दाखिला भारतीय नृत्य कला केंद्र में करवाया जहाँ उन्होंने संगीत की शिक्षा प्राप्त की। साथ ही उन्होंने स्नातक एवं स्नातकोत्तर की डिग्री भी हासिल की। इसी दौरान उन्होंने मैथिली गीतों को मंच पर प्रस्तुत करना शुरू कर दिया था। शारदा सिन्हा प्रोफेसर थीं और 5 साल पहले वह रिटायर हुई थीं। पीएचडी करने के बाद उन्हें समस्तीपुर कॉलेज में लेक्चर में ज्वाइन की बाद में वह प्रोफेसर भी बनीं।
शारदा सिन्हा की शादी 1970 ई में बेगूसराय के सिमहा गांव के रहने वाले ब्रज किशोर सिन्हा के साथ हुई जो बिहार शिक्षा सेवा के अधिकारी थे। परिवार में बेटी वंदना और और बेटा अंशुमान सिन्हा हैं। शारदा सिन्हा के पति का डेढ़ महीने पहले 22 सितंबर को निधन हो गया था।
शादी के बाद शारदा की सास उनका गाना गाना पसंद नहीं करती थीं मगर बाद में मान गईं। वर्ष 1971 में उन्हें कई बड़ी कंपनियों से गाने का ऑफर मिला।
उन्होंने मैथिली के अलावा भोजपुरी, बज्जिका एवं हिंदी गाना भी गाने गाए। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी गाने को बिहार के बाहर बाक़ी दुनिया में भी प्रसिद्धि दिलाई।
हिंदी फिल्म में भी शारदा सिन्हा ने गाने गए हैं। राज श्री प्रोडक्शन की सुपरहिट फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में ‘कहे तोसे सजना तोहरी सजनिया’ ने उस समय दर्शकों को एक नई आवाज़ के जादू में ऐसा बंधा जो आज भी अपना असर बरक़रार रखे है।
राजश्री प्रोडक्शन की दूसरी सुपरहिट फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ का ‘बाबुल जो तूने सिखाया’ गाना भी उन्होंने गाया था। इसके अलावा 2012 में रिलीज ‘गैंग्स आफ वासेपुर’ में ‘तार बिजली से पतले हमारे पिया’ भी काफी पसंद किया गया था। वेबसीरीज ‘महारानी’ में उनके ‘निरमोहिया’ गाने ने भी खूब लोकप्रियता बटोरी है।
भारत सरकार ने 1991 में शारदा सिन्हा को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 2000 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2006 में राष्ट्रीय अहिल्याबाई देवी सम्मान, 2018 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।