कोरोना से लड़ने के लिए पीएम मोदी के जनता कर्फ्यू आइडिया से भौंचक हैं वैज्ञानिक और डॉक्टर
कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जनता कर्फ्यू जैसे कदम उठाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान से देश के वैज्ञानिक और डॉक्टर भौंचक हैं। इनके संगठन पीएमएसएफ ने एक बयान में कई देशों की मिसाल देकर मोदी सरकार द्वारा उठाए जारे कदमों को नाकाफी बताया है।
प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट्स फोरम (PMSF) कोरोना वायरस के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश से निराश है और इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। फोरम ने एक बयान जारी कर कहा कि कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा सिर्फ संयम बरते की अपील करना निराशाजनक है। फोरम के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर हरजीत भट्टी ने पीएम के जनता कर्फ्यू के आह्वान को पर कहा कि पूरा देश और खासतौर से मेडिकल जगत इस आह्वान से भौंचक है।
पीएमएसएफ ने प्रधानमंत्री के इस बयान का जिक्र किया है जिसमें उन्होंने कहा कि, ” कोई कैसे संयम का अभ्यास करता है? भीड़-भाड़ से दूर रहकर, घरों से बाहर निकलने से बचकर… आप (अन्यथा) न केवल अपने लिए, बल्कि अपने परिवार के प्रति भी अन्याय करेंगे।” संगठन ने इस बारे में याद दिलाया है कि देश के 90% कार्यक्षेत्र असंगठित क्षेत्र है और इन लोगों के पास घरों में रहने की विलासिता नहीं है। पीएमएसफ ने कहा है कि मजदूर के लिए जिंदा रहने लिए दिहाड़ी कमाना जरूरी है।
बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री कम से कम कुछ ऐसे कदम उठाने की घोषणा तो कर ही सकते थे:
जन धन खातों के माध्यम से गरीब परिवारों को घर में रहने के दौरान वित्तीय सहायता एफसीआई के गोदामों में जमा अतिरिक्त स्टॉक से इस संकट काल के दौरान गरीबों को मुफ्त राशन
लोगों को अफवाहों से दूर रहने की सलाह
फोरम का कहना है कि ज्यादातर गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के पास जनस्वास्थ्य यान सरकारी इलाज और परीक्षण की कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में फोरम ने प्रधानमंत्री को कुछ देशों के प्रधानमंत्रियों और सरकारों द्वारा द्वारा उठाए गए कदमों की याद दिलाई।
स्पेन ने अपने सभी निजी अस्पतालों को ’राष्ट्रीयकृत’ करने का आदेश दिया है
फ्रांस ने परफ्यूम और इत्र निर्माताओं को आदेश दिया है कि वे हैंड सैनिटाइजर बनाएं और लोगों को मुफ्त में उपलब्ध कराएं चीन की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी को रातोंरात दुनिया के सबसे बड़े मास्क निर्माता में बदल दिया गया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सभी निजी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को बिना वेतन काटे छुट्टी देने के बिल पर दस्तखत कर इसे लागू किया
ऐसे कदमों के मुकाबले भारत में सरकार की प्रतिक्रिया न सिर्फ बेहद निराशापूर्ण है बल्कि अपर्याप्त और गैर-जिम्मेदार भी है।
sabhaar: navjeevan