नई दिल्ली, 9 नवंबर : मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक किसान मुद्दों पर कई दिनों से केंद्र सरकार को घेर रहे हैं। माना जा रहा है कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए मुश्किल कड़ी कर सकते हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मलिक ‘जाटलैंड’ में सक्रिय राजनीति में वापसी कर सकते हैं।
सत्यपाल मलिक मेघालय में कार्यभार संभालने से पहले जम्मू-कश्मीर और गोवा के राज्यपाल रहे हैं। अपने वक्तव्य में उनका कहना है कि वह अपने पद से हटने से नहीं डरते। तीन कृषि कानूनों पर अपने हालिया बयानों के बारे में उनका कहना है – “जिस दिन सरकार मुझसे कहेगी कि उन्हें समस्या है, मैं इस्तीफा देने के लिए एक मिनट भी इंतजार नहीं करूंगा। पहले दिन से, मैंने इसके लिए बात की है। मैं किसानों के विरोध प्रदर्शन में जाने और शामिल होने के लिए तैयार था।” ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मलिक ‘जाटलैंड’ में सक्रिय राजनीति में वापसी कर सकते हैं और ऐसा हुआ तो ये सत्ता के लिए सिरदर्द साबित होगा।
सत्यपाल मलिक ने धरना स्थलों पर किसानों की मौत पर सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठायाहै। उन्होंने कहा था कि देश के सबसे बड़े किसान आंदोलन में करीब 600 लोग मारे गए हैं, लेकिन सत्ताधारी दल के नेताओं की ओर से शोक का एक भी शब्द नहीं आया है।
मलिक को अगस्त 2020 में मेघालय के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 19 अगस्त, 2020 को राज्य के 21वें राज्यपाल के रूप में पदभार ग्रहण किया था। मलिक एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद रहे हैं, उन्होंने अपने लंबे करियर में राज्य और केंद्र दोनों में कई पदों पर काम किया है।