कानपुर। आरबीआइ गवर्नर का दावा कुछ भी हो, लेकिन हकीकत में जनता नकदी संकट से जूझ रही है। यह संकट आरबीआइ को भी है। बैंकों की भुगतान की मांग को पूरा करने के लिए आरबीआइ ने विभिन्न बैंकों को वे नोट भेज दिए, जो नष्ट करने के लिए रखे गए थे। क्लीन नोट पॉलिसी के तहत बाजार से हटा लिए गए इन नोटों को फिर से बैंकों को वापस कर दिया गया है और कहा जा रहा है कि वह इसी का भुगतान करें। rbi awarded
इसमें दस-दस रुपये के नोटों की गड्डी अधिक है और इनमें से कई नोट सड़ और गल चुके हैं। इसके अलावा इन गड्डियों में पांच-पांच के नोट भी हैं। ऐसी गड्डियों में नोटों की संख्या कम होने की भी शिकायत आ रही है।
वर्ष 2005 से क्लीन नोट पॉलिसी के तहत बाजार से उन नोटों को वापस लिया जा रहा था, जो खराब हो चुके हैं। आरबीआइ ने बीते चार दिनों में करेंसी की मांग को पूरा करने के लिए बैंक अॉफ बड़ौदा, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक अॉफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक समेत करीब बीस बैंकों को दस-दस रुपये की गड्डियां दी हैं। इन बैंकों ने काफी समय पहले इन नोटों को रेमीटेंस (नष्ट करने योग्य) के लिए आरबीआइ को भेज दिया था। उदाहरण के लिए पंजाब नेशनल बैंक को करीब दस करोड़ रुपये दिए गए हैं। ऐसे ही भारतीय स्टेट बैंक को ऐसे 3000 बंडल (तीन करोड़ ) देने के लिए बुलाया गया है। बैंक अॉफ बड़ौदा को भी इसी के तहत नोट दिए गए हैं।
हर ब्रांच में नोट काउंटिंग मशीन लगी हैं, लेकिन पुराने नोट निकलने के कारण वह हांफ सी गई हैं। कई ब्रांच में नोट गिनने वाली मशीन नोटों पर लगी धूल के कारण जल्दी रुक रही हैं। बैंक कर्मियों का आधा समय नोट गिनने में ही जा रहा है।