प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल संसद में विश्वास मत की परीक्षा में नाकामयाब रहे। नेपाल में हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में प्रचंड के विश्वास मत के खिलाफ 275 सदस्यों में से 194 सदस्य रहे जबकि समर्थन में केवल 63 वोट पड़े।
प्रधानमंत्री पुष्प कमल को विश्वास मत प्राप्त करने के लिए 138 मतों की ज़रूरत थी। इस नाकामयाबी के बाद प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने इस्तीफा दे दिया है।
ख़बरों के मुताबिक़ प्रचंड द्वारा विश्वासमत हासिल नहीं कर पाने पर ओली शनिवार को प्रधानमंत्री बन सकते हैं और रविवार को वह पद और गोपनीयता की शपथ ले सकते हैं।
नेपाल की राजनीति इस समय बड़े फेर बदल से गुज़र रही है ऐसे में के पी शर्मा ओली का प्रधानमंत्री बनना लगभग तय हो गया है।
संसद में प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल के विश्वास मत खोने का बड़ा कारण सीपीएम-यूएमल द्वारा सरकार से समर्थन वापस लेना बताया जा रहा है।
हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में 275 सदस्यों में प्रचंड के विश्वास मत के खिलाफ 194 जबकि समर्थन में 63 वोट पड़े। विश्वास मत हासिल करने के लिए 138 मतों की आवश्वयकता थी।
गौरतलब है कि बीते सप्ताह पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड सरकार से समर्थन वापल ले लिया था।
नेपाली कांग्रेस के नेताओं ने के पी शर्मा ओली और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के शुक्रवार को होने वाले शक्ति परीक्षण से पहले नई गठबंधन सरकार के गठन पर विचार किया था।
बताते चलें कि नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा पहले ही ओली को नेपाल के अगले प्रधानमंत्री के रूप में अपना समर्थन देने के लिए राज़ी हो गए थे।
हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में नेपाली कांग्रेस के 89 सदस्य हैं जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं। इन दोनों दलों के गठबंधन से कुल सीटों की संख्या 167 होती है जो सरकार बनाने का दावा करने के लिए 138 के आवश्यक बहुमत से काफी ज़्यादा है।
हालाँकि निचले सदन में 138 सीटों के बहुमत की तुलना में प्रचंड के पास मात्र 32 सीटें हैं। ओली का कहना है कि राजनीतिक स्थिरता तथा देश के विकास के लिए ओली-देउबा से तीन-तीन वर्ष तक प्रधानमंत्री रहेंगे।