नवनिर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीनियों के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त करते हुए फिलिस्तीन लिखे बैग के साथ संसद में प्रवेश किया। प्रियंका गाजा में इजरायली अत्याचारों को फिलिस्तीनियों का नरसंहार बताकर नेतन्याहू की कड़ी निंदा करती रही हैं।
प्रियंका संसद की बैठक में जो बैग लेकर दाखिल हुईं उस पर फिलिस्तीन लिखा हुआ था। हैंड बैग पर अंग्रेजी में लिखे फिलिस्तीन के अलावा फिलिस्तीनी झंडे के रंग और शांति चिन्ह भी देखे जा सकते थे। साथ ही एक तरबूज के चित्र के माध्यम से फिलिस्तीन के साथ एकजुटता का एहसास दिलाने का भी प्रयास किया गया था।
प्रियंका गाँधी गाजा में हो रही इजरायली अत्याचारों को फिलिस्तीनियों का नरसंहार बताते हुए नेतन्याहू की कड़ी निंदा करती रही हैं।
प्रियंका गांधी द्वारा फिलिस्तीन के प्रति समर्थन की इस अभिव्यक्ति पर सत्तादल की ओर से प्रतिक्रिया देखने को मिली है। सत्तारूढ़ बीजेपी की ओर से कहा गया कि प्रियंका गांधी खबरों में बने रहने के लिए ऐसी हरकतें करती हैं।
बीजेपी के प्रवक्ता अमित मालवीय ने प्रियंका के बहाने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इसे कांग्रेस नया मुस्लिम लीग बताया है। एक्स पर एक ट्वीट करते हुए मालवीय ने लिखा- “संसद सत्र के आख़िर में कृपया कांग्रेस के लिए दो मिनट का मौन रखें क्योंकि ये मानती है कि प्रियंका गांधी उनकी समस्याओं का बहुप्रतीक्षित समाधान है।” आगे उन्होंने प्रियंका को कांग्रेस के लिए राहुल गांधी से ज़्यादा बड़ी विपदा बताया और कहा कि प्रियंका गांधी ये मानती हैं कि फिलिस्तीन लिखा बैग लेकर संसद में आना पितृसत्ता से लड़ने से संबंधित है।
प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीनियों के प्रति अपने समर्थन की बीजेपी की आलोचना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा- “यह रूढ़िवादी पितृसत्तात्मक समाज है जहां महिलाओं पर उनकी इच्छा से शासन किया जाता है, लेकिन मुझे यह स्वीकार नहीं है। मैं वही पहनूंगी जो मेरा दिल चाहेगा।”
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, जब इस मामले में प्रियंका गांधी से बीजेपी द्वारा की जा रही आलोचना पर बात हुई तो उनका कहना था कि बांग्लादेश में हिंदुओं और इसाईयों पर हो रहे अत्याचार के बारे में कुछ करें। उन्होंने बांग्लादेश सरकार से बात करके अत्याचार बंद कराएं जाने की भी बात कही।
गौरतलब है कि प्रियंका गाँधी पहले भी गाज़ा और फिलिस्तीनियों के समर्थन में बोल चुकी हैं। बीते वर्ष अक्तूबर में गाज़ा को लेकर यूएन के प्रस्ताव पर वोटिंग में गैर हाज़िरी पर भी उन्होंने सवाल उठाया था।
बताते चलें कि भारत की ओर से फिलिस्तीनियों को लेकर जो नीति अपनाई गई थी उसमे कोई भी बदलाव नहीं हुआ है। फिलिस्तीन मामले पर भारत का रुख़ ‘दो राज्य समाधान’ पर टिका हुआ है।