भारत में सौर तथा पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों का प्रयोग पहले की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है। ये जानकारी मिली है इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी इकनॉमिक्स एंड फाइनैंशल एनालिसिस की रिपोर्ट से। ये रिपोर्ट नेट जीरो मिशन में महिलाओं की कम भागीदारी को भी उजागर करती है।
रिपोर्ट से खुलासा होता है कि भारत में वर्ष 2030 तक क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में 10 लाख नौकरियां आने वाली हैं और वर्ष 2070 तक ‘नेट जीरो’ कार्बन उत्सर्जन की भी बात कही गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक़ इस देश में इस क्षेत्र में औरतों की भागीदारी महज़ 11फीसद है जबकि पूरी दुनिया में इसका औसत 32 फीसद है। ऐसे में औरतों की भागीदारी पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे इन मौकों से वंचित रह जाएंगी और मिशन पर भी असर पड़ेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक़, इसके लिए सबसे पहले माहौल बनाना ज़रूरी है जो महिलाओं के प्रति सोच और रवैये में बदलाव के साथ आ सकेगा।
औरतों की कमी के सवाल पर जो बात सामने आती है वह है इस क्षेत्र में औरतों के साथ भेदभाव और असमानता। इसकी एक कारण उनसे जुड़े आंकड़ों की कमी भी है।
सरकार के पास इस संबंध में पूरी जानकारी नहीं है कि कितनी औरतें इस क्षेत्र में काम करना चाहती हैं, उनके पास क्या हुनर या संसाधन मौजूद हैं। साथ ही इन महिलाओं को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इन समस्याओं का समाधान कैसे किया जाए। आंकड़ों की उपलब्धता होने पर इस क्षेत्र में औरतों को बराबरी का मौका देना संभव हो सकेगा।
रिपोर्ट से खुलासा होता है कि भारत में वर्ष 2030 तक क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में 10 लाख नौकरियां आने वाली हैं और वर्ष 2070 तक ‘नेट जीरो’ कार्बन उत्सर्जन की भी बात कही गई है।
एक अन्य महत्वपूर्ण बिंदु औरतों को हुनरमंद बनाना है। आज भी महिलाओं में साइंस, टेक्नॉलजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स (STEM) जैसे विषयों की जानकरी बेहद कम है। भारत में सिर्फ 14 प्रतिशत औरतों के पास ऐसी जॉब है जिहे इन विषयों की जानकारी है। एक रिसर्च के मुताबिक, आने वाले 10 सालों में जितनी भी नौकरियां आएंगी, उनमें से 80% के लिए इन विषयों यानी STEM की जानकारी बेहद जरूरी होगी।
इसके अलावा सरकार द्वारा सोलर एनर्जी के क्षेत्र में नौकरियां बढ़ाने के लिए ‘सूर्य मित्र’ जैसा कौशल विकास प्रोग्राम की शुरुआत हुई। वर्ष 2015 से 2022 के बीच इस प्रोग्राम में कुल 51,529 लोगों को ट्रेनिंग दी गई, जिनमें से महिलाओं की संख्या 2,251 थी। यानी केवल 4.37 प्रतिशत औरतें इसमें शामिल हुईं।
आधी आबादी की संख्या वाली औरतें ऐसे कई मुद्दों से या तो कटी हुई है या उनके दखल की कमी से इन प्रोजेक्ट में उनकी भागीदारी कम रहती है। इस भागीदारी को बढ़ाकर मिशन को कहीं ज़्यादा तेज़ी से कामयाब बनाया जा सकता है।