वाराणसी, 09 नवंबर: 450 वर्ष पुरानी श्री कृष्ण लीला की श्रृंखला में नागनथैया लीला का आयोजन किया गया। नाग नथैया लीला में बाल स्वरूप भगवान कृष्ण कालिया नाग का मर्दन करते हैं।
इस लीला को देखने के लिये गंगा तट के तुलसी घाट पर लाखों की भीड़ जमा होती है। वर्तमान में इसका ज़िक्र बुज़ुर्गों के किस्से तक बचा था। नथैया लीला के रूप में लोकप्रिय त्योहार तुलसी घाट पर कार्तिक महीने में मनाया जाता है।
कृष्ण लीला समारोह में काशी के ही लोग नहींबल्कि देश विदेश से भी नागरिक आते हैं। पौराणिक कथा नाग नथैया का मूल महाभारत में वर्णित हैं। जब भगवान कृष्ण एक किशोर थे। वह यमुना नदी में अपनी गेंद को खो देते हैं और इसी नदी में एक विषैला शेषनाग कालिया रहता था और उसके विष का इतना प्रभाव था कि नदी का पूरा जल ही उसके विष से काला प्रतीत होता था। लेकिन बाल कृष्ण वापस अपने गेंद लाने के लिए नदी में कूद पड़ते हैं और जिस नाग के विष से पूरा गांव भयभीत था उसी नाग के अहंकार को नष्ट करके भगवान कृष्ण दिव्य रूप में सबके सामने प्रकट होते हैं।