अत्याधिक शराब पीकर दम घुटने से होने वाली मौत पर उस व्यक्ति का उत्तराधिकारी के बीमा का हक़दार नहीं होगा। ये फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक मामले में सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मामले में बीमा कंपनी का दायित्व पूरी तरह या प्रत्यक्ष तौर पर किसी दुर्घटना से पहुंची चोट के बदले में मुआवजा देने का है। न्यायमूर्ति एम.एम. शांतानागौदर और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश को बरकरार रखा, जिसने कहा था कि मृत्यु किसी दुर्घटना की वजह से नहीं हुई और बीमा नीति के तहत ऐसे मामले में मुआवजा देने का कोई सांविधिक दायित्व नहीं बनता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अदालत ने यह आदेश हिमाचल प्रदेश राज्य वन निगम में तैनात एक चौकीदार की कानूनी उत्तराधिकारी नर्बदा देवी की याचिका पर दिया।पीठ ने कहा, ‘मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर हमें राष्ट्रीय आयोग के 24 अप्रैल 2009 के आदेश में हस्तक्षेप का कोई कारण दिखाई नहीं देता।’
अक्टूबर 1997 में शिमला जिले के इस चौकीदार की मौत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक़ मृत्यु का कारण अत्याधिक शराब पीने से दम घुटना बताया गया था।