नई दिल्ली। राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले नवजोत सिंह सिद्धू के आम आदमी पार्टी में शामिल होने की अटकलों पर विराम लग गया है। सिद्धू ने आम आदमी पार्टी को झटका देते हुए पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए एक नए फ्रंट आवाज-ए-पंजाब का नेतृत्व करेंगे। इस फ्रंट का अधिकारिक तौर पर 9 सितम्बर को गठन किया जाएगा। अगले साल पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं।
सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने आवाज-ए-पंजाब का एक बड़ा पोस्टर फेसबुक पर शेयर किया है। पोस्टर में सिद्धू को पूर्व हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह और लुधियाना से निर्दलीय विधायक सिमरजीत सिंह बैंस के साथ दिखाया गया है। सिमरजीत सिंह ने कहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू नए फ्रंट की ओर से सीएम पद के संभावित उम्मीदवार होंगे। उन्होंने कहा कि हम गैर अकाली, गैर कांग्रेस और गैर आप, राजनीतिक फ्रंट के गठन के लिए अपने जैसा खुला दिमाग रखने वाले सभी लोगों से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब के लोगों के लिए विकल्प उपलब्ध कराने का दावा करने वाले आम आदमी पार्टी को उसके अपने ही लोगों ने बेनकाब कर दिया है। पूर्व हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह ने भी फेसबुक पर इस पोस्टर को शेयर किया है।
परगट और बैंस भाईयों के भी शुरुआत में आम आदमी पार्टी में जाने की चर्चा थी। सूत्रों का कहना है कि वे पिछले अगस्त से ही पार्टी के संपर्क में थे लेकिन आम आदमी पार्टी के एक ही परिवार के दो सदस्यों को टिकट न देने वाला नियम उनकी पार्टी में आने के आड़े आ रहा था। इस वजह से वह पार्टी में नहीं आ सके। सिद्धू का यह मोर्चा पंजाब में अंदरुनी कलह से जूझ रही आम आदमी पार्टी के लिए नई चुनौती साबित हो सकता है। बता दें कि सिद्धू के पहले आम आदमी पार्टी में जाने की चर्चा थी लेकिन अब वह पंजाब में केजरीवाल को टक्कर देते दिखाई दे सकते हैं।
गौरतलब है कि बीजेपी से नवजोत सिंह सिद्धू ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू इससे पहले अमृतसर लोकसभा सीट से सांसद भी रह चुके हैं। पिछले कुछ समय से नवजोत के बीजेपी के साथ रिश्तों में खटास आ गई थी। दरअसल प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के खिलाफ सिद्धू बेहद मुखर थे और इस सरकार में सहयोगी अपनी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे थे। 2014 के आम चुनाव में जब अमृतसर सीट से सिद्धू की जगह अरुण जेटली को टिकट दिया गया तो इन रिश्तों की खटास और बढ़ी। ऐसे में स्वाभाविक है कि जेटली के चुनाव हारने पर आरोपों के कुछ ‘छीटें’ सिद्धू पर भी आए।
पंजाब में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी आलाकमान ने सिद्धू को राज्यसभा सदस्यता देकर संतुष्ट करने का प्रयास किया था। लेकिन सिद्धू तो सिद्धू ठहरे, राज्यसभा से इस्तीफा देकर उन्होंने बड़ा धमाका कर डाला था। बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा था, ‘मैंने इस्तीफा दिया क्योंकि मुझसे कहा गया कि पंजाब की तरफ मुंह नहीं करोगे, आखिर मैं अपनी जड़, अपना वतन कैसे छोड़ दूं। बीजेपी नेतृत्व पर निशाना साधते हुए सिद्धू ने कहा था कि चार इलेक्शन जीतने के बाद राज्यसभा सीट देकर कहा जाता है कि सिद्धू पंजाब से दूर रहो, लेकिन पंछी भी शाम को घोंसले में लौटता है। राष्ट्रभक्त पक्षी भी अपने पेड़ नहीं छोड़ते। दुनिया की कोई भी पार्टी पंजाब से ऊपर नहीं है और कोई भी नफा-नुकसान हो उसे झेलने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू तैयार है। बीजेपी से दूरी बनाने के बाद सिद्धू के आम आदमी पार्टी अथवा कांग्रेस पार्टी से जुडऩे की चर्चाए भी थीं, लेकिन सूत्रों के अनुसार, कुछ मुद्दों पर बात अटकने के कारण ऐसा नहीं हो सका।