चंडीगढ़। सिद्धू का सियासी सस्पेंस अाखिरकार खत्म हो गया। भाजपा छोड़ अपना फ्रंट बनाने वाले सिद्धू ने बुधवार को पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू और परगट सिंह को कांग्रेस ज्वाइन करवा दी। सूत्रों की मानें तो खुद के लिए भी उनकी कांग्रेस में डील फाइनल है। वे विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्हें कैप्टन की जगह अमृतसर संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है। navjot singh siddhu
ऐसा इसलिए भी लग रहा है कि बुधवार को ही कैप्टन ने लोकसभा से अपना इस्तीफा स्पीकर को सौंपा है। वहीं, कैप्टन ने ट्वीट कर पुष्टि की है कि नवजोत कौर और परगट 28 नवंबर को एक समारोह में कांग्रेस ज्वाइन करेंगे। राहुल गांधी के पंजाब दौरे के समय किसी बड़े समारोह में कांग्रेस ज्वाइन करवाने की संभावना है। सिद्धू की ज्वाइनिंग की पूरी कहानी कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लिखी। गुलाम नबी आजाद की मुख्य भूमिका रही। आखिर तक कैप्टन व सिद्धू में मतभेद की संभावना मंगलवार रात राहुल ने दूर की। रात साढ़ नौ बजे के करीब कैप्टन और आशा कुमारी के साथ सिद्धू से मिलकर उन्होंने पूरी रूपरेखा स्पष्ट कर दी। इसके बाद ये एलान किया गया कि ये दोनों 28 नवंबर को कांग्रेस में आएंगे।
सूत्रों के अनुसार परगट को शाहकोट या नकोदर से टिकट मिल सकती है। अभी यह तय नहीं है कि नवजोत कौर को कहां से टिकट मिलेगी। हालांकि उन्हें अमृतसर से ही चुनाव लड़ाने की संभावना है। सिद्धू दंपती और परगट सिंह ने कांग्रेस ज्वाइन करने का फैसला इस शर्त पर किया है कि डॉ. सिद्धू को कांग्रेस की ओर से टिकट दिया जाएगा और जीतने पर उन्हें मंत्री पद दिया जाएगा।
सूत्रों की मानें तो शुरू में सिद्धू की भी कांग्रेस ज्वाइन करने की घोषणा होनी थी, लेकिन सिद्धू ने राहुल गांधी की मौजूदगी में ही कांग्रेस ज्वाइन करने की इच्छा जताई। इसका बड़ा कारण ये भी बताया जा रहा है कि वे परगट और नवजोत कौर के साथ कैप्टन अमरिंदर के पास नहीं जाना चाहते थे। इसीलिए सिद्धू के कांग्रेस ज्वाइनिंग की घोषणा बाद में करने का फैसला हुआ।
सिद्धू के सियासी कदम से किसको कितना फायदा-नुकसान
कांग्रेस
कांग्रेस को स्टार कैंपेनर मिलेगा सिद्धू का जट्ट सिख, युवा वोट बैंक पर अच्छा आधार है। सिद्धू ने शामिल न होकर बता दिया कि वह कैप्टन की प्रधानगी में नहीं रहेंगे। कांग्रेस के लिए सिद्धू दंपती को टिकट देना संभव नहीं था।
आम आदमी पार्टी
आप को घाटा होगा। उसके पास अभी भी सिख चेहरा नहीं है जिसे सीएम के तौर पर पेश कर सके। सिद्धू ऐसा विकल्प हो सकते थे लेकिन उन्हें सीएम प्रोजेक्ट करने में पार्टी नाकाम रही। यदि सिद्धू ने आप को निशाना बनाया तो आप को नुकसान होगा।
अकाली दल
अकाली दल को तो सीधे तौर पर नुकसान है। पार्टी जहां पहले ही दस साल की एंटी इनकेंबेसी झेल रही है, अब उनके विरोध में सिद्धू जैसा बोलने वाला खड़ा होगा तो माहौल बिगड़ेगा। अकाली दल में टिकटों को लेकर बगावत बढ़ भी रही है।