राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के अयोध्या में एक भव्य राममंदिर के निर्माण पर समर्थन देने के बयान के बाद मुस्लिम मौलानाओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
ईदगाह के इमाम और सुन्नी धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा, “ऐसा बयान देना सही नहीं है, जब मामला सर्वोच्च न्यायालय में हो।
मध्यस्थता की प्रक्रिया भी अदालत की निगरानी में चल रही है.” उन्होंने कहा, “मुस्लिम निर्णय का इंतजार कर रहे हैं और हिंदुओं को भी धर्य रखना चाहिए। इस तरह के बयान से केवल विवाद होता है।
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा, “आरएसएस प्रमुख का बयान इस समय सही नहीं है जब मध्यस्थता की प्रक्रिया चल रही है। मुसलमानों ने हमेशा कहा है कि वे सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को स्वीकार करेंगे। इसलिए इस तरह के बयान की क्या जरूरत है?”
शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि जब मामला अदालत के अधीन है, दोनों समुदाय के नेताओं को ऐसे बयानों से दूर रहना चाहिए। रविवार को आरएसएस प्रमुख ने राजस्थान के उदयपुर में कहा था, “राम का काम करना है, राम का काम होकर रहेगा।
उन्होंने कहा था कि राम हमारे हृदय में बसते हैं और हमें सक्रिय होने व अपने लक्ष्य को हकीकत में बदलने के लिए आगे बढ़ने की जरूरत है।