उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा ने दिल्ली को ऐसे दाग दिए हैं, जिन्हें भूल पाना मुश्किल है. लेकिन हिंसा के बीच ही कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने इंसानियत की मिसाल पेश की. मुस्तफाबाद में रहने वाले मुस्लिम परिवारों ने न केवल हिंदू परिवारों की हिफाजत की बल्कि मंदिर की पहरेदारी में पांच रात जागते रहे.
दिल्ली हिंसा में 41 लोगों की हो चुकी है मौतहिंसा के बीच ही मुस्तफाबाद में दिखा भाई चारा मुस्लिम परिवारों ने की हिंदू परिवारों की रक्षा
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भड़की हिंसा में एक के बाद एक 41 लोगों की मौत हो गई है. नागरिकता कानून को लेकर भिड़े दो पक्षों के बीच हिंसा इतनी भड़क गई कि पूरी दिल्ली सुलग गई. हिंसा की खबरों के बीच कुछ ऐसी भी खबरें सामने आईं, जिन्हें देखकर लगा कि जब तक अच्छे लोग हैं, तब तक इंसानियत को कुछ नहीं हो सकता.
उत्तरी-पूर्वी दिल्ली का मुस्तफाबाद इलाका हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. लेकिन इसी मुस्तफाबाद में ही हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की एक अलग मिसाल देखने को मिली. जब उत्तर पूर्वी दिल्ली सुलग रही थी, तभी 40 वर्षीय कल्याण सिंह और मौलाना हाजी जीन मोहम्मद एक-दूसरे की हिफाजत कर रहे थे.
मुस्तफाबाद के बाबू नगर में रहने वाले 60 परिवारों में 13 परिवार हिंदू हैं. मुस्लिम लोगों ने न केवल हिंसा के दौरान अपने हिंदू पड़ोसियों की रक्षा की बल्कि उनके आसपास मंदिरों की भी हिफाजत में उतर गए. इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए मौलाना हाजी दीन मोहम्मद ने कहा जैसे ही हमें हिंसा के बारे में सूचना मिली, हमने अलग-अलग टीमें बना लीं. हमारी टीमों में कुछ युवा शामिल रहे. हमने उनसे मंदिरों की हिफाजत करने के लिए कहा.