आगरा। बसपा सुप्रीमो मायावती ने रविवार को यूपी चुनाव का शंखनाद आगरा से किया। बड़े शहरों में आगरा सुरक्षित सीट है, इसीलिए माया ने शुरूआती रैली आगरा से की। पोस्टरों बैनरों से आगरा को पाट दिया गया, ताकत दिखाने के लिए माया ने आगरा के कोठी मीना बाजार का मैदान चुना। कहते हैं कि ये मैदान इतना बड़ा है कि जल्दी कोई पार्टी यहां रैली करने की हिम्मत नहीं जुटाती। 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी की यहां रैली हुई थी। भीड़ जुट गई, आखिर आगरा और अलीगढ़ मंडल के 16 विधानसभा सीटों के बसपा उम्मीदवारों की अपनी बहनजी के सामने परीक्षा जो थी।
करीब एक बजे मायावती का हेलीकॉप्टर मैदान पर उतरा, हेलीकॉप्टर से उतर कर वो कार से मंच तक पहुचीं। फिर शुरू हुआ भाषण का दौर । मायावती के एक घंटे 20 मिनट के भाषण में सबसे ज्यादा बीजेपी और आरएसएस निशाने पर रहे। मोदी सरकार को धन्ना सेठों के हक में काम करने वाली बताकर जमकर मजम्मत की, झूठे वादे करने का आरोप लगाया। तो वहीँ संघ प्रमुख पर सीधा हमला करते हुए कहा कि ये लोग हिंदुओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने को कह रहे हैं, जबकि अभी भी लोग भूखे सो रहे हैं। संघ पहले मोदी सरकार कहे कि वो गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी ख़त्म करने के लिए कुछ क्यों नहीं करते।
माया ने दलितों को ऊना समेत देश भर में दलितों के खिलाफ हुईं घटनाओं के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया। बीजेपी का साथ देने वाले बौद्ध भिक्षुओं पर भी माया ने तीखा हमला किया और कहा कि कुछ स्वार्थी और आरएसएस के लोग बाल मुंडवाकर बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं। साफ था कि मायावती को 2014 का लोकसभा चुनाव याद है, जब यूपी में उनकी कोई सीट नहीं आई। डर बीजेपी के हिन्दू कार्ड का भी है कि कहीं दलित बीजेपी के हिन्दू कार्ड में बसपा से टूट न जाए।
सपा सरकार की कानून व्यवस्था पर तो मायावती ने हमेशा की तरह चोट की, लेकिन अखिलेश सरकार के विकास के दावों की ये कहकर हवा निकालने की कोशिश कि सारे बड़े प्रोजेक्ट की शुरुआत बसपा सरकार के वक्त ही हुई थी। वहीं कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं के दलित भोज पर तंज कसते हुए मायावती ने कांग्रेस को खस्ताहाल बताकर उसे तो लड़ाई में ही नहीं माना।
मायावती ने दलित वोटबैं क के बाद सवर्णों को भी संश दिया। माया बोलीं सवर्ण भ्रम में न आएं। बसपा कभी तिलक, तराजू और तलवार जैसे नारे का समर्थन नहीं करती। बसपा में उनको भी बड़े ओहदे मिलते हैं, वो सरकार में मंत्री भी बनते हैं। फिर नारा दिया-सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय।
मायावती ने बीजेपी एक धर्म के लोगों को दूसरे धर्म के लोगों से लड़ाकर यूपी में सत्ता पाना चाहती है, जबकि वो सत्ता में आईं तो जंगलराज नहीं कानून का राज होगा। किसी धर्म विशेष के खिलाफ काम करने वालों को बख्शा नहीं जायेगा। सत्ता में आने पर ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन होगा।
बसपा सुप्रीमो को एहसास था कि हाल में स्वामी प्रसाद मौर्य समेत कई नेताओं के छोड़कर जाने का नकारात्मक संदेश जनता के बीच गया है। इसलिए पहले तो जाने के बाद आरोप लगाने वाले नेताओं को कोसा, फिर जिस पार्टी में गए उन पर हमलावर हुईं, उसके बाद मीडिया के एक वर्ग को निशाने पर लेते हुए कहा कि मीडिया में एक मनुवादी और धन्नासेठों का तबका है जो बसपा के खिलाफ खबर को लंबे वक्त तक खींचता है, जबकि सामान्य मीडिया ऐसी किसी खबर को एक या दो दिन ही दिखता है।
दलित-मुस्लिम गठजोड़ के साथ सवर्ण वोटों पर माया की नजर
माया के भाषण ने साफ हो गया कि, सियासी समीकरण के लिहाज से पहले वो दलित मुस्लिम गठजोड़ बनाना चाहती हैं और फिर उम्मीद रखती हैं कि मजबूत बेस बनने पर सवर्णों का एक तबका भी उनके साथ आ जाएगा और वो यूपी के सीएम की कुर्सी पर फिर से काबिज हो जाएंगी। लेकिन माया को ख्याल रखना होगा कि लोकसभा की तर्ज पर दलित खिसके नहीं तो वहीँ बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय के उस सवाल का जवाब तलाशना होगा कि आखिर तीन बार वो पहले बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना चुकी हैं, आगे ऐसा नहीं करेंगी इसकी क्या गारंटी है। पर इस बात जवाब तो मायावती ने आगरा की रैली में दिया नहीं।
आखिर में भीड़ देखकर खुश मायावती ने जाने से पहले अपने हेलीकॉप्टर से मैदान के दो चक्कर लगाए। हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया और मुख्यमंत्री फिर बनने का सपना संजोए लौट गईं।