प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान भगदड़ में हुई मौतों के बाद, श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने केंद्र और राज्य सरकारों को प्रतिवादी बनाते हुए गाइडलाइंस और सुरक्षा उपायों के निर्देश देने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट में महाकुंभ में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गाइडलाइंस जारी करने और नियमों के अमल की मांग को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि भगदड़ की घटना के लिए संबंधित अधिकारियों और ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
प्रयागराज में मंगलवार-बुधवार की मध्यरात्रि में भगदड़ से 30 लोगों की मौत होने जबकि 90 से ज़्यादा के घायल होने के समचार हैं।
हादसे के एक दिन बाद यानी आज गुरुवार को अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने और लोगों के जीवन की रक्षा की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है।
यह याचिका अनुच्छेद-32 के तहत दाखिल की गई है, जिसमे मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए उपचारों की व्यवस्था का प्रावधान है। इसके तहत, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में याचिका दायर की जा सकती है।
अनुच्छेद-21 के तहत, किसी भी व्यक्ति को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के बिना उसके जीवन या व्यक्तिगत आज़ादी से वंचित नहीं किया जा सकता।
दाखिल याचिका में याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों को प्रतिवादी बनाते हुए महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित किए जाने हेतु निर्देश की बात कही है।
दायर याचिका में याची का कहना है कि सभी राज्यों को अपने सुविधा केंद्रों पर तीर्थ यात्रियों और श्रद्धालुओं को सुरक्षा उपाय और गाइडलाइंस के बारे में बेसिक जानकारी देने का निर्देश दिया जाए।
प्रदेश सरकार के साथ संयोजन करके तमाम राज्य कुंभ में डॉक्टर, नर्स और मेडिकल टीम भी तैनात किए जाने की बात भी कही है जिससे मेडिकल इमरजेंसी के समय किसी भी तरह से स्टाफ की कमी न हो पाए।
विशाल तिवारी ने इस याचिका में विभिन्न भाषाओं में घोषणाएं सहित दिशा दिखाने वाले डिस्प्ले बोर्ड, सड़कें आदि की व्यवस्था करने की भी मांग की है जिससे अन्य राज्यों से आने वाले लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े।