बरेली। 14 साल की सजा काट चुके कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर सेंट्रल जेल के कैदी दूसरे दिन भी हड़ताल पर हैं। शनिवार को माफिया डान बबलू श्रीवास्तव और उसके साथियों के अलावा आतंकी भी कैदियों की मांग के समर्थन में आ गए हैं। जेल के 2100 कैदियों में से मेडिकल डाइट पर रहने वाले 200 कैदियों के लिए ही खाना बन रहा है। पेशी पर कचहरी आए कैदियों ने प्रदेश की सपा सरकार पर तुष्टिकरण की सियासत करने का आरोप लगाया है।
सेंट्रल जेल आगरा से उठी उम्रकैदियों की रिहाई की मांग बरेली केंद्रीय कारागार के बाद जिला कारागार में पहुंच सकती है। जिला कारागार से पेशी पर आए बंदियों से सेंट्रल जेल के कैदियों ने समर्थन मांगा है। बरेली सेंट्रल जेल के करीब पांच सौ उम्र कैदियों ने भूख हड़ताल शुरू की थी। उनका कहना था कि पहले कुछ नियमों के तहत प्रदेश सरकार चाहे तो 14 साल सजा काट चुके उम्र कैदियों को 26 जनवरी और 15 अगस्त पर रिहा कर दिया जाता था। मगर पिछले करीब आठ सालों से यूपी की जेलों से किसी भी राष्ट्रीय पर्व पर सरकार कुछ खास लोगों की ही रिहाई करा रही है। इसकी वजह यह है एक याचिका पर निर्णय सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैदियों की एक साथ रिहाई पर रोक लगा दी। यहां सेंट्रल जेल में बंद 21 सौ कैदियों में करीब दो हजार उम्रकैद की सजा वाले हैं। इनमें करीब तीन सौ कैदी 14 साल से ज्यादा अधिक जेल में बिता चुके हैं। 200 कैदी बीमार हैं। बुजुर्ग कैदियों की रिहाई के लिए सेंट्रल जेल प्रशासन ने कई बार प्रयास किए, लेकिन कभी शासन से फाइल लौटा दी। रिहाई के लिए आगरा सेंट्रल के कुछ कैदी भूख हड़ताल शुरू कर दी। यह आवाज यहां पहुंची तो शुक्रवार को सेंट्रल जेल के सर्किल नंबर वन से भूख हड़ताल का सिलसिला शुरू हो गया। दूसरे दिन मेडिकल डाइट पर रहने वाले दो सौ कैदियों को छोड़कर बाकी सभी ने खाना नहीं खाया। इससे जेल से अधिकारियों में हड़कंप मच गया। देर शाम तक जेल अधीक्षक कैदियों को मनाने में लगे रहे, लेकिन बात नहीं बन पाई।