लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण डेंगू से लगातार हो रही मौतों पर सख्त हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष पेश होकर मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने गलती मान ली। सरकारी महकमों की ओर से हुई चूक स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि 48 अफसर चिन्हित कर लिये गए हैं। जिन्हें नियमानुसार कार्रवाई कर 15 दिन के भीतर निलंबित कर दिया जाएगा। lucknow high court
न्यायमूर्ति एपी शाही और न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की खंडपीठ ने 25 अक्टूबर को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही पर यहां तक कह दिया था कि प्रदेश में सांविधानिक तंत्र विफल हो गया है। न्यायालय ने स्पष्टीकरण के लिए मुख्य सचिव को तलब किया था। न्यायालय के आदेश के अनुपालन में मुख्य सचिव राहुल भटनागर महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह व अपर महाधिवक्ता बुलबुल गोडियाल और आइपी सिंह के साथ कोर्ट के समक्ष पेश हुए।
मुख्य सचिव ने स्वयं ही आधे घंटे तक कोर्ट को राज्य सरकार की योजना के बारे में विस्तार से बताया। जिसके बाद न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को तय करते हुए कृत कार्यवाही का ब्यौरा तलब कर लिया। न्यायालय के सख्त रुख को देखते हुए मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया कि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ 15 दिन के भीतर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने न्यायालय को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार आम नागरिकों के स्वास्थ्य को लेकर संवेदनशील है और इस विषय पर ठोस कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने न्यायालय को बताया कि राज्य सरकार ने एक हाई पावर कमेटी व एक टेक्निकल कमेटी बना दी है।
सरकार ने यह भी तय किया है कि वह केंद्र सरकार के फंड का इंतजार नहीं करेगी और स्वयं इन बीमारियों के इलाज व रोकथाम के लिए धन आवंटित करेगी। न्यायालय के यह पूछे जाने पर कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है। इनके खिलाफ क्या किया जा रहा है, बताया कि 48 लापरवाह अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है जिस पर न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा कि उन्हें अब तक निलंबित क्यों नहीं किया गया। इस पर मुख्य सचिव ने आश्वासन दिया कि 15 दिन के भीतर नियमानुसार उनके खिलाफ निलंबन की कार्यवाही की जाएगी।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने इस बात पर भी बल दिया कि सरकार को डेंगू मरीजों के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए तत्काल एक प्रोटोकाल तय करना चाहिए जिसके तहत बुखार से पीड़ित किसी मरीज का इलाज किया जाए। वहीं सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि राज्य सरकार नोटिफिकेशन जारी करके डेंगू को महामारी घोषित करेगी।
न्यायालय ने 16 नवंबर को अगली सुनवाई पर मुख्य सचिव को कृत कार्यवाही के संबंध में व्यक्तिगत हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है। जिसमें चिकित्सा व स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिवों के साथ सचिवए नगर विकास को भी उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। lucknow high court
डेंगू की रोकथाम की मांग वाली कई जनहित याचिकाओं पर एक साथ हो रही इस सुनवाई के दौरान आदर्श मेहरोत्रा ने कहा कि न्यायालय ने वर्ष 2003 में भी आदेश पारित किया था लेकिन अधिकारियों की ओर से लापरवाही जारी है। हर साल जुलाई से नवंबर के बीच डेंगू से कई लोगों की जान चली जाती है। lucknow high court
मामले की पिछली तारीखों पर ही सुनवाई के दौरान अधिवक्ता एसके सिंह ने भी अर्जी दी थी। उनके बेटे की हाल ही में चिकित्सकों द्वारा गलत इलाज करने के कारण डेंगू बुखार से मौत हो गयी थी। उन्होंने राज्य सरकार का बचाव कर रहे महाधिवक्ता को आड़े हाथों लिया। एसके सिंह ने कहा कि महाधिवक्ता को सरकार को नहीं आम लोगों को बचाने के बारे में सोचना चाहिए।
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