जिनेवा: यूएनएचसीआर यानी यूनाइटेड नेशन हाई कमीशन ऑफ़ रेफ्यूजी ने चेतावनी दी है कि पिछले साल जबरन विस्थापित लोगों की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है। जानकारी के मुताबिक़ साल 2023 में विथापित लोगों की संख्या 11 करोड़ 73 लाख हो गई है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट से होने वाले खुलासे से पता चला है कि यूएनएचसीआर ने वैश्विक स्तर पर हो रहे राजनीतिक बदलावों को देखते हुए विस्थापित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी की चेतावनी दी है।
शरणार्थियों के लिए उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रांडी के मुताबिक़, इन लोगों में शरण की तलाश में जो लोग है, उनमे राजनीतिक शरणार्थी, आंतरिक रूप से ख़राब स्थितियों के कारण अपना घर खो देने वाले शरणार्थी और हिंसा के शिकार शरणार्थियों की बड़ी संख्या है।
ग्रांडी मानते हैं कि बेघर लोगों की समस्या दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही है और पिछले 12 वर्षों के दौरान बेघर लोगों की संख्या सालाना आधार पर तेजी से बढ़ी है।
रिपोर्ट बताती है कि मई 2024 में जबरन विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 12 करोड़ तक पहुँच गई। यह लगातार 12वाँ साल है जब इस आँकड़े में वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है।
शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रांडी ने नए संघर्षों की आशंकाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब तक वैश्विक स्तर पर राजनीतिक परिवर्तन नहीं होता, दुर्भाग्य से संख्या बढ़ने की संभावना बनी रहेगी।
फ़िलिपो ग्रांडी ने कहा कि विस्थापित लोगों की संख्या में सूडान में चल रहे युद्ध से प्रभावित लोग भी शामिल हैं और अन्य संघर्षों के कारण यह सबसे खराब समस्याओं में से एक है जिस पर दुनिया ध्यान नहीं दे रही है।
उन्होंने कहा कि सूडान में युद्ध के कारण 90 लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हो गए हैं और अन्य 20 लाख लोग पड़ोसी देशों चाड, मिस्र और दक्षिण सूडान में चले गए हैं। उन्होंने बताया कि चाड में रोजाना सैकड़ों लोग पहुंच रहे हैं।
गाजा में 8 महीने तक चले युद्ध और क्रूर इजरायली बमबारी से 80 फीसदी आबादी यानी 17 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं और ये प्रक्रिया अभी भी जारी है।
फ़िलिपो ग्रांडी ने यह चेतावनी दी है कि गाजा से राफा सीमा के रास्ते मिस्र में फ़िलिस्तीनियों के संभावित आगमन पर इजरायली क्रूरता के नतीजे में हालात और भी संकट को जन्म दे सकते हैं।
आगे उन्होंने कहा कि गाजा के बाहर शरणार्थियों की एक और समस्या ये है कि हर स्तर पर संकट बढ़ेगा क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं है कि ये सभी लोग एक दिन गाजा लौटेंगे।
यूएन एजेंसी के उच्यायुक्त फ़िलिपो ग्रैंडी का कहना है कि इन चौंकाने वाले आँकड़ों और विस्थापितों की बढ़ती संख्या के पीछे, मानव त्रासदी की अनगिनत दास्तानें हैं। अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को उनकी पीड़ा को समझते हुए तुरन्त क़दम उठाने होंगे, ताकि जबरन विस्थापन के मूल कारणों को हल किया जा सके।