श्रीनगर। घाटी में स्थित ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में शुक्रवार (25 नवंबर) जुमे की नमाज अदा की गई। जुलाई में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से कश्मीर में जारी अस्थिरता के कारण मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ी जा रही थी। kashmir jamia mosque
जामिया मस्जिद में शुक्रवार को 19 सप्ताह के बाद जुमे की नमाज पढ़ी गयी। हालांकि, मस्जिद में नमाज पढ़ने वालों की संख्या काफी कम थी क्योंकि हड़ताल के कारण आसपास के क्षेत्रों के लोगों को यहां तक पहुंचने के लिए सार्वजनिक परिवहन नहीं मिला। मस्जिद में जुमे की पिछली नमाज आठ जुलाई को हुई थी। यहां तक कि इस वर्ष मस्जिद में ईद की नमाज भी नहीं पढ़ी गयी।
करीब दो सदी में ऐसा पहली बार हुआ, मस्जिद पिछली बार 1821 में बंद हुई थी। घाटी में स्थिति में सुधार आने के बाद शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ने की अनुमति दी गयी। जुमे की नमाज से पहले आम तौर पर खुतबा पढ़ने वाले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के उदारवादी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फारूक नजरबंद हैं और उन्हें मस्जिद आने की इजाजत नहीं मिली। अधिकारियों ने बताया कि जुमे की नमाज खत्म होते ही युवाओं के एक समूह ने राजौरी कदल की ओर मार्च निकाला, लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया। दोनों पक्षों में झड़प भी हुई, लेकिन किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
कश्मीर में अलगाववादियों द्वारा आहूत बंद के कारण सामान्य जनजीवन बाधित रहा। इसके चलते लोगों की आवाजाही में कमी आई और सड़कों पर भी वाहन कम संख्या में नजर आए। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार की नमाज के बाद कानून एवं व्यवस्था की समस्या की आशंका के मद्देनजर लोगों का आगमन और वाहनों की आवाजाही अन्य दिनों की तुलना में काफी कम रही। उन्होंने बताया कि जम्मू और कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में अधिकतर दुकानें, पेट्रोल पंप और व्यवसायिक प्रतिष्ठान हड़ताल के कारण बंद रहे, वहीं सार्वजनिक वाहन भी सड़कों पर कम नजर आए।
अधिकारी ने बताया कि हालांकि सिविल लाइन के कुछ इलाकों और शहर की बाहरी सीमा पर आज कुछ दुकानें खुली लेकिन लाल चौक सिटी सेंट्र से टीआरसी चौक-बटमालू चौक पर कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानें लगाई। उन्होंने बताया कि घाटी के अन्य जिला मुख्यालयों से भी कम यातायात और दुकानों के बंद रहने की रिपोर्ट मिली है।