नए वर्ष के पहले दिन इसरो ने श्रीहरिकोटा से पहले एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट यानी एक्सपोसैट (XPoSat) का सफल प्रक्षेपण किया।
प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती पूरी हुई और 44.4 मीटर लंबे रॉकेट ने उड़ान भरी। इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच साल है।
इसरो का यह प्रोजेक्ट एक्सपोसैट एक्स-रे सोर्स के रहस्यों का पता लाने के अलावा ब्लैक होल की रहस्यमयी दुनिया का स्टडी करने में सहयता करेगा। साथ ही यह ब्लैक होल जैसे आकाशीय पिंडों के रहस्यों का भी अध्ययन करेगा।
इसका उपयोग एक्स-रे ध्रुवीकरण आकाशीय स्रोतों के विकिरण तंत्र तथा ज्योमेट्री की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण नैदानिक उपकरण के लिए किया जाता है।
PSLV-C58/XPoSat Mission:
The PS4 stage is successfully brought down to a 350 km orbit.
Here are the PSLV-C58 tracking images pic.twitter.com/KXDVA2UnpX
— ISRO (@isro) January 1, 2024
इससे पहले इसरो चंद्र मिशन और सूर्य मिशन के ज़रिये साल 2023 में सुर्ख़ियों में रहा है। इस बार नए वर्ष के पहले ही दिन एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) के लॉन्च के साथ इसरो ने इतिहास रच दिया।
यह भारत का पहला पोलारिमीटर सैटेलाइट मिशन है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किये गए इस उपग्रह से ब्लैक होल्स और सुपरनोवा जैसी सुदूर चीजों के अध्ययन में सुविधा मिलेगी। इससे पहले विश्व में इस तरह का पहला उपग्रह वर्ष 2021 में अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तरफ से भेजा जा चुका है।
हालांकि, इसे दिसंबर 2023 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन किन्ही कारणों से इसकी लॉन्चिंग का समय बदलना पड़ा।
इसरो के सबसे भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी ने अपने C58 मिशन में मुख्य एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह यानी एक्सपोसैट को पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया है।