फ़िलिस्तीनी ज़मीन पर इज़रायल के 57 साल के कब्जे के ख़िलाफ़ बोलते हुए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में तुर्की ने कहा कि क्षेत्र में शांति के लिए सबसे बड़ी बाधा इज़राइल का हड़पनेवाला क़ब्ज़ा है।
तुर्की के उप विदेश मंत्री अहमद यिल्डिज़ ने आईसीजे की छठे और आखिरी दिन की सुनवाई के दौरान अपनी दलीलों में कहा कि इज़राइल-फिलिस्तीनी संघर्ष 7 अक्टूबर से नहीं बल्कि कई दशकों से चल रहा है।
उन्होंने कहा कि इज़राइली राजनेताओं के नफरत भरे बयानों पर इज़राइली चरमपंथियों ने पवित्र स्थलों पर हमला किया, दो-राज्य समाधान को लागू करने में विफलता क्षेत्र की समस्याओं का कारण है।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत में सुनवाई का अंतिम दिन होने के कारण कई देशों ने इस बात पर जोर दिया कि फिलिस्तीन पर इज़राइल का दशकों पुराना अवैध कब्जा खत्म होना चाहिए।
तुर्की उन देशों में शामिल है, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर इज़राइल के दशकों पुराने कब्जे की निंदा की है।
तुर्की के उप विदेश मंत्री अहमत यिल्डिज़ सोमवार को सुनवाई के आखिरी दिन बोलने वाले पहले प्रतिनिधि थे, एक सप्ताह तक चले कार्यक्रम में 52 देशों और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने फिलिस्तीन पर इज़राइल के कब्जे की दलील दी।
उन्होंने कहा कि लंबे समय से चल रहे संघर्ष को अब तक सुलझाया जा सकता था यदि इज़राइल और उसके पश्चिमी सहयोगियों द्वारा अंतरराष्ट्रीय और मानवाधिकार कानूनों को बरकरार रखा गया होता, और इस बात पर जोर दिया कि कैसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद फिलिस्तीनियों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही है।
As the UN’s top court stages its final day of hearings, more countries assert the israeli decades-old illegal occupation of Palestine must end https://t.co/FE9U4QLeSH
— Sarah Wilkinson (@swilkinsonbc) February 26, 2024
उन्होंने कहा कि “फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर इज़राइल का गहराता कब्ज़ा” और दो-राज्य समाधान को लागू करने के लिए उसके सहयोगियों की प्रतिबद्धता में नाकामयाबी मुख्य मुद्दे थे।
हेग में अदालत के बाहर से रिपोर्टिंग करते हुए, अल जज़ीरा के पत्रकार ने कहा कि तुर्की ने पिछले सप्ताह से दर्जनों देशों द्वारा दिए गए कई तर्कों को दोहराया है। आगे उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनियों को केवल सम्मान के साथ आज़ादी की ज़रूरत है।
सुनवाई के दौरान दोहा इंस्टीट्यूट फॉर ग्रेजुएट स्टडीज में सार्वजनिक नीति के सहायक प्रोफेसर टैमर क़र्मौट ने कहा कि तुर्की ने इज़राइल के साथ व्यवहार करते समय अतीत में और अधिक कठोर कदम उठाए हैं, जिसमें राजनयिक और आर्थिक संबंधों को तोड़ना भी शामिल है।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के अनुसार, आईसीजे की सुनवाई के दौरान इज़राइली सेना ने गाजा पट्टी के विभिन्न हिस्सों पर गोलाबारी जारी रखी, जिसमें अंतिम सुनवाई से पहले 24 घंटों में 90 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो गई और 164 घायल हो गए। जबकि 7 अक्टूबर से अब तक लगभग 30,000 फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं।