एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन जारी है। खेल के चौथे दिन भारतीय एथलीट्स ने अब तक चार और पदकों पर जीत हासिल कर ली है।
पहला स्वर्ण बुधवार को शूटिंग इवेंट में देश की बेटियों ने जीता। 25 मीटर पिस्टल टीम स्पर्धा में मनु भाकर, ईशा सिंह और रिदम सांगवान की महिला टीम ने स्वर्ण पदक पर अपनी दावेदारी के साथ विजय पायी। इन खिलाड़ियों ने चीन को तीन अंकों से शिकस्त दी।
राउंड की शुरुआत में ही भाकर ने दो अंकों की बढ़त ले ली थी और और जैसे-जैसे राउंड आगे बढ़ा, उन्होंने इसे तीन अंकों तक पहुंचा दिया। ईशा और रिदम ने भी बढ़त को बनाए रखते हुए देश के लिए स्वर्ण अपने खाते में किया। आइये एक नज़र डालते हैं इन खिलाडियों की पृष्ठभूमि पर-
मनु भाकर
हरियाणा के झज्जर में जन्मीं मनु भाकर ने स्कूल के दिनों में टेनिस, स्केटिंग और मुक्केबाजी जैसे खेलों में हिस्सा लिया था। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाली ‘थांग ता’ नामक एक मार्शल आर्ट में भी हिस्सा लिया है। मनु भविष्य में मुक्केबाज बनना चाहती थीं, मगर आंख में चोट लगने के कारण उन्होंने मुक्केबाजी छोड़ दी। मनु भाकर रैंकिंग के माध्यम से युवा अवस्था में ही भारत की शूटिंग स्टार बन गईं।
रियो ओलंपिक 2016 से प्रभावित मनु उस समय 14 साल की थीं। शूटिंग की तरफ जब उनका रुझान हुआ तो उन्होंने अपने पिता राम किशन भाकर से शूटिंग पिस्टल दिलाने की बात कही। सहयोग ने उनके टैलेंट को ऐसा निखारा कि 2017 की राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियनशिप में मनु ने ओलंपियन और पूर्व विश्व नंबर एक हीना सिद्धू को हराकर 242.3 के स्कोर वाला नया रिकॉर्ड बना डाला।
मनु राष्ट्रीय चैंपियन बनीं और तबसे कामयाबी के नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अगस्त 2020 में मनु भाकर को एक वर्चुअल पुरस्कार समारोह में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया। मनु भाकर को भीम अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। जून 2022 में पंचकूला के इंद्रधनुष सभागार में हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने उन्हें ये सम्मान दिया था।
ईशा सिंह
एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली ईशा सिंह के पिता सचिन सिंह मोटरस्पोर्ट्स में नेशनल रैली चैंपियन रह चुके हैं। एक एथलीट के गुण उन्हें अपने पिता से विरासत में मिले हैं। ईशा इस समय18 साल की हैं और उन्होंने नौ वर्ष की उम्र से ही शूटिंग की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी।
साल 2014 में पहली बार बन्दूक थामने वाली ईशा ने साल 2018 में नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप का खिताब जीता। वैसे ईशा का अवार्ड जीतने का सिलसिला 13 वर्ष की उम्र से ही शुरू हो गया था। इस बीच उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड जीते। साथ ही ईशा ने यूथ, जूनियर और सीनियर कैटेगरी में तीन स्वर्ण अपने नाम किए हैं।
नेशनल चैंपियन बनने के पीछे ईशा की चार साल की कड़ी मेहनत के अलावा उनके परिवार का योगदान भी है। एशियाई खेलों में अपने नाम स्वर्ण पदक करने वाली ईशा को भारत सरकार ने साल 2020 में प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार से सम्मानित किया था।
रिदम सांगवान
रिदम सांगवान के पिता नरेंद्र सांगवान पुलिस विभाग से हैं। पिता की वर्दी और सर्विस रिवॉल्वर ने हमेशा रिदम को प्रभावित किया। पिता के सहयोग से उन्हें इस फील्ड में आने का अवसर मिला और उन्होंने देश के लिए एशियाई खेलों में स्वर्ण जीतकर देश का नाम रौशन किया है।
रिदम सांगवान शूटिंग वर्ल्ड कप सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में अबतक 10 स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। मेहड़ा निवासी रिदम के पिता नरेंद्र सांगवान हरियाणा पुलिस में डीएसपी के पद पर हैं।
रिदम की दिलचस्पी को देखते हुए उनके पिता ने उन्हें प्रशिक्षण दिलाने का फैसला किया और बेटी की मेहनत का नतीजा था कि उसने जूनियर स्तर पर अच्छा प्रदर्शन किया। इसके बाद रिदम सीनियर वर्ग में भी पदक जीती।
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— Amar Ujala (@AmarUjalaNews) September 27, 2023
वर्ष 2017 में राष्ट्रीय स्पर्धा में भाग लेने वाली रिदम के पिता नरेंद्र सांगवान ने बताया कि बेटी का लक्ष्य आगे चलकर भारत के लिए ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना है।