भारत सरकार ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए ओला, उबर जैसी ऐप आधारित कार रेंटल कंपनियों द्वारा कंट्रोल रूम बनाने और उनके कमीशन को कम करने की योजना बनाई है. साथ ही ड्राइवरों के काम करने के अधिकतम घंटे भी तय किए जाएंगे.
भारत ने ऐप आधारित टैक्सी सेवा जैसे उबर और ओला के कमीशन को अधिकतम 10 प्रतिशत तय करने की योजना बनाई है. इस प्रस्ताव पर उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसा करने पर राजस्व और संचालन पर काफी असर पड़ेगा. इस तरह के कानून से सैन फ्रांसिस्को आधारित कंपनी उबर के लिए एक और झटका होगा. वजह ये है कि बीते सोमवार को यात्रियों की सुरक्षा में विफलता को लेकर लंदन में उबर के लाइसेंस को बीते दो साल के अंदर दूसरी बार छीन लिया गया.
वर्तमान में ऐप आधारित ये कंपनियां करीब 20 प्रतिशत कमीशन लेती हैं. भारत सरकार के 23 पन्नों के निर्देश के अनुसार इसे कम करने का प्रस्ताव रखा गया है. साथ ही सरकार ने ड्राइवरों के लिए सख्त सुरक्षा जांच और एक दिन में अधिकतम 12 घंटे काम करने का भी प्रस्ताव दिया है. यह सब यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है. भारत के सड़क परिवहन मंत्रालय ने काम के घंटों को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दिया है. उबर और ओला ने भी नई योजना पर कोई जवाब नहीं दिया.
यह प्रस्ताव अभी बदल सकता है लेकिन उद्योग विशेषज्ञ कहते हैं कि इससे से उबर और सॉफ्टबैंक समर्थित ओला के राजस्व में कमी आ सकती है. पूरी दुनिया में उबर के माध्यम से जितने लोग सवारी करते हैं, उसमें 11 प्रतिशत भारत का योगदान है.
ओला के पूर्व कार्यकारी अधिकारी जॉय बनडेकर कहते हैं, “10 प्रतिशत कमीशन व्यवहारिक नहीं है. यह 20 प्रतिशत के आसपास होना चाहिए. इतने कम रेट में सिस्टम नहीं चल सकता है.” भारत सवारी करने वाली कंपनियां के लिए उभरता हुआ बाजार है. यहां के लोग संकरी सड़कों की वजह से खुद गाड़ी नहीं चलाना चाहते हैं. भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कैब कंपनियों के बढ़ते बाजार को ऑटो की कम होती बिक्री के लिए जिम्मेदार ठहरा चुकी हैं. कंपनियों द्वारा ड्राइवरों की इनसेंटिव कम करने और किराया बढ़ाने से भी कुछ ड्राइवर नाराज हैं.
सरकार द्वारा तैयार किए गए मसौदे में सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कंपनियों द्वारा कंट्रोल रूम बनाने का प्रस्ताव रखा गया है. इस कंट्रोम रूम के माध्यम से वाहनों को ट्रैक किया जा सके और हर तीन घंटे पर ड्राइवरों के चेहरे की पहचान की जा सके. प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि कंपनियां ड्राइवरों और सवारियों का बीमा उपलब्ध करवाए और ऐप पर मौजूद सभी डाटा को दो साल के लिए सुरक्षित रखा जाए.