भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को हल करने के एक महत्वपूर्ण समझौते पर आज से बड़ी कार्यवाई होनी है। आज और कल तक वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर सैन्य वापसी का अंतिम चरण पूरा हो जाएगा।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सैन्य वापसी की इस प्रक्रिया को एक बेहद महत्वपूर्ण कदम बताया है। उसका कहना है कि सीमा की स्थिति बहुत परेशान करने वाली रही है, जिसका पूरे संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। आगे उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के बाद दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग को फिर से बनाने में समय लगेगा।
देशों के बीच सीमा विवाद को हल करने के लिए यह कदम एक महत्वपूर्ण समझौते के तहत उठाया गया है। साल 2020 के गलवान संघर्ष के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है जब दोनों देशों ने सीमा विवाद के किसी हिस्से का समाधान किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, भारतीय सेना ने समझौते के तहत अपने उपकरणों को पीछे हटाना शुरू कर दिया है। भारत और चीन के बीच दोने देशों के बीच 28 से 29 अक्टूबर तक वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य वापसी का अंतिम चरण पूरा हो जाएगा।
सेना की वापसी की यह कवायद पूर्वी लद्दाख के दो तनाव वाले इलाक़ों डेमचोक और डेपसांग प्लेन्स में होगी। इसके बाद भारत और चाइना के सैनिक, अप्रैल 2020 से पूर्व की स्थिति में लौट आएँगे और उन क्षेत्रों में गश्त करेंगे, जहां वे चार साल पहले गश्त किया करते थे।
हालांकि अभी इस बारे में कोई सूचना नहीं मिली है कि अंतिम चरण के पूरा होने पर कोई प्रतीकात्मक कदम उठाया जाएगा या नहीं। इसके अलावा दोनों देशों के मध्य अभी भी कुछ ऐसे मुद्दे बाकी जिन्हें पूरी तरह से सुलझाया नहीं जा सका है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तीन मुख्य मुद्दों पर ध्यान दिलाया। इसमें पहला सैन्य वापसी से जुड़ा वह मुद्दा है जहां दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने थीं और किसी भी समय संघर्ष की संभावना बनी हुई थी। इस प्रकरण का दूसरा मुद्दा “तनाव कम करना ” जबकि तीसरा मुद्दा “सीमा प्रबंधन और सीमा विवाद के समाधान पर बातचीत” है।