भारत में नाइट्रेट का बढ़ा हुआ स्तर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश के 440 जिलों के भूजल में नाइट्रेट का स्तर सुरक्षित सीमा से कहीं अधिक पाया गया है। यह प्रदूषण न सिर्फ सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है।
रिपोर्ट से यह खुलासा भी हुआ है कि पानी के 9.04 फीसदी नमूनों में फ्लोराइड का स्तर सुरक्षित सीमा से ज़्यादा पाया गया, जबकि 3.55 फीसदी में आर्सेनिक प्रदूषण पाया गया। बताते चलें कि सीजीडब्ल्यूबी ने मई 2023 में भारत भर के 15,259 जगहों पर भूजल की गुणवत्ता की पड़ताल की है।
रिपोर्ट से पता चला है कि उलट उत्तर प्रदेश सहित केरल, झारखंड और बिहार में पानी में नाइट्रेट प्रदूषण के कम मामले अन्य राज्यों की तुलना में कम पाए गए हैं। इसके इतर राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु में 40 फीसदी से अधिक पानी के नमूने सुरक्षित सीमा से ज़्याद मिले हैं।
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि अधिक समय तक फ्लोराइड और आर्सेनिक युक्त पानी से गंभीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं। फ्लोराइड फ्लोरोसिस जबकि आर्सेनिक कैंसर या त्वचा के घाव जैसी समस्या का कारण बनता है।
पानी में नाइट्रेट के प्रदूषण दर की बात करें तो महाराष्ट्र में यह 35.74 प्रतिशत, तेलंगाना में 27.48 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 23.5 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 22.58 में भी उच्च स्तर तक दर्ज की गई।
जिन राज्यों में पानी के नमूने सुरक्षित सीमा के भीतर पाए गए हैं उनमे पूर्वोत्तर राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, मेघालय, मिजोरम और नगालैंड आते हैं।
उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और हरियाणा में 2017 से 2023 का आंकलन बताता है कि नाइट्रेट स्तर में लगातार वृद्धि देखने को मिली है। वहीँ, राजस्थान सहित मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में नाइट्रेट का स्तर साल 2015 से स्थिर पाया गया है।
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि अधिक समय तक फ्लोराइड और आर्सेनिक युक्त पानी से गंभीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं। फ्लोराइड फ्लोरोसिस जबकि आर्सेनिक कैंसर या त्वचा के घाव जैसी समस्या का कारण बनता है।
शिशुओं में नाइट्रेट का बढ़ा हुआ स्तर ‘ब्लू बेबी सिंड्रोम’ जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
सीजीडब्ल्यूबी यानी सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट-2024 के मुताबिक, पानी में नाइट्रेट प्रदूषण मुख्य रूप से नाइट्रोजन आधारित उर्वरकों और पशु अपशिष्ट के अनुचित निपटान के कारण होता है।
रिपोर्ट के मुताबिक़, भूजल में नाइट्रेट का बढ़ता स्तर अत्यधिक सिंचाई के कारण हो सकता है, जो संभवत: उर्वरकों में मौजूद नाइट्रेट को मिट्टी की गहराई तक पहुंचने में मदद करता है।