ओवैसी ने केंद्र सरकार को अगाह करते हुए कहा कि 26 जनवरी तक इस कानून को वापस नहीं लिया तो यह आक्रोश पूरे देश में फैल जाएगा। इसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।
जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, एआइएमआइएम चीफ व हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी ने कहा कि एनआरसी और सीएए जैसे काले कानून को लेकर हमारी लड़ाई मोदी सरकार से है।
सरकार इस कानून को लागू कर देश के अंदर फूट डालना चाहती है। अवैसी रविवार को किशनगंज के रुईधासा मैदान में ‘संविधान बचाओ, देश बचाओ’ रैली को संबोधित कर रहे थे।
NPR=NRC.
Barrister @asadowaisi patiently goes through the evidence to prove the same pic.twitter.com/cT1KNVGm1Q— AIMIM (@aimim_national) December 29, 2019
रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार के एक एक मुसलमानों ने आजादी की लड़ाई में कुर्बानियां दी थीं। वर्तमान सरकार एनआरसी और सीएए को लागू कर हिंदू और मुसलमानों के बीच फूट डालना चाहती है, लेकिन हम लोग सरकार के मनसूबे को कामयाब नहीं होने देंगे।
’नागरिकता-सत्याग्रह’ करेंगे
एनपीआर का फ़ॉर्म नहीं भरेंगे pic.twitter.com/u864loFJRc— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 30, 2019
उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर पीएम मोदी को देश के मुसलमानों से इतनी नफरत क्यूं है? क्या वे देश की तरक्की में बराबर के हिस्सेदार नहीं हैं? बाबा साहेब ने संविधान लागू करते समय इस बात का जिक्र किया था कि यह देश किसी एक खास मजहब के लोगों का नहीं, बल्कि सभी हर मजहब को मानने वाले लोगों का होगा।
मोदी सरकार इन कानून को के माध्यम से बाबा साहेब और डॉ राजेंद प्रसाद के सपनों को तोड़ रही है। ये मसला केवल मुसलमानों के लिए नहीं है, बल्कि यह सभी 130 करोड़ लोगों का मसला है। इस पर हम लोगों को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
ओवैसी ने कहा कि मुझे नीतीश, लालू, राहुल या मोदी किसी से डर नहीं लगता है। डर की बुनियाद पर हम खड़े नही हुए हैं। हम लोग आज यहां संविधान और देश की रक्षा के लिए खड़े हुए हैं।
क्योंकि देश को नुकसान पहुंचाना यानी हमें नुकसान पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि असम में इस कानून के तहत बांग्ला भाषा बोलने वाले पांच लाख लोगों को डिटेंशन कैंपों में रखा गया है।
एआइएमआइएम चीफ ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में कोई फर्क नहीं है। सरकार एनपीआर को ला कर लोगों को दिग्भ्रमित कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कैसे तय कर सकती है कि हम भारत के नागरिक हैं या नहीं।
एनपीआर और एनाआरसी के मुद्दे पर हम कही पर भी बहस करने को तैयार हैं। लोगों को दिग्भ्रमित करने के लिए हर दिन तरह-तरह के बयान आते हैं।
उन्होंने गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का नाम लेते हुए कहा, उन्होंने सांसद में कहा था कि सीमांचल में अप्रत्याशित रूप से जनसंख्या वृद्धि हो रही है।
ओवैसी ने कहा कि हमें इस बात पर कोई एतराज नहीं कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दू भाई आएंगे तो उन्हें नागरकिता मिलनी चाहिए। बल्कि मजहब के नाम पर भेदभाव करना उचित नहीं है।
ओवैसी ने कहा कि पीएम मोदी देश के 17.5 करोड़ मुसलमानों से नफरत करते हैं। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए किा भारत के संविधान को खराब करने के लिए देश आपको माफ नहीं करेगा।
संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है और नीतीश कुमार आंखें बंद किये बैठे हैं। ओवैसी ने कहा कि केरल सरकार की तर्ज पर बिहार की जनता नीतीश कुमार से भी अपील करती है की बिहार में एनपीआर लागू नहीं हो।
लेकिन नीतीश कुमार अभी मोदी के साथ खेल-खेल रहे हैं। सभा में प्रधानमंत्री नरेनद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ओवैसी ने खूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा सीतामढ़ी के बच्चे को अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में हाथ काट दिया गया। यह देश के लिए दुखदायी है।
उन्होंने मेरठ के एसपी को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि मुसलमान वर्दी का इज्जत कर रहा था। इसलिए वह चुप है। मेरठ के हिंदू-मुसलमानों ने आजादी में काम किया था। उन्होंने एसपी को कहा कि आपकी हिम्मत कैसे हुई।
आपको हमारी कुर्बानी याद नही आई। उन्होंने कहा कितनो जूल्म हमपर और मुसलमानों पर हो, लेकिन हम या देश का कोई मुसलमान भारत छोड़कर नहीं जाएंगे। यह देश हमारा है।
ओवैसी ने सभी से अपील करते हुए कहा कि भारत को एक समाजवादी गैर मजहबी मुल्क बनाने की शपथ लें। उन्होंने केंद्र सरकार को अगाह करते हुए कहा कि 26 जनवरी तक इस कानून को वापस नहीं लिया तो यह आक्रोश पूरे देश में फैल जाएगा। इसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।
इसके पूर्व एआइएमआइएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा मांझी के साथ आने से कांग्रेस और राजद के पेट मे ऐंठन आ गई है। इस जनाक्रोश रैली में महाराष्ट्र के पूर्व आईपीएस अब्दुर्रहमान और किशनगंज विधायक कमरुल होदा भी शामिल थे।