सुकमा. सुकमा में NH-30 उड़ाना चाहते थे नक्सली24 अप्रैल को सीआरपीएफ जवानों पर हुए हमले के दौरान नक्सली NH-30 को भी उड़ाना चाहते थे। इसके लिए NH-30 पर 10 किलोग्राम का IED भी प्लान्ट किया गया था। सर्चिंग के दौरान जवानों को IED की जानकारी मिली। बम डिस्पोजल स्क्वॉड को बुलाकर IED को डिफ्यूज कराया गया। बता दें कि बुरकापाल और चिंतागुफा के बीच हुए इस हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए थे।
दोरनापाल से 2 किलोमीटर दूर लांगलगुंडा नाम का इलाका है। यहां एक पुलिया है। नक्सलियों ने जब सीआरपीएफ पर हमला किया तो इसी दौरान उन्होंने इस पुलिया के नीचे IED भी प्लान्ट कर दिया। इसका वजन करीब 10 किलोग्राम था।
हमले के बाद जब सिक्युरिटी फोर्सेस ने सर्च ऑपरेशन चलाया तो इस IED का पता लगा। दोरनापाल में मौजूद 150वीं सीआरपीएफ बटालियन के बम डिस्पोजल स्क्वॉड को बुलाया गया। टीम ने इसे डिफ्यूज किया।
कई मामलों में देखा गया है कि आईडी के नीचे नक्सली प्रेशर बम लगा देते हैं। फोर्सेस को इसकी जानकारी भी नक्सली ही साजिश के तहत पहुंचाते हैं।
सिक्युरिटी फोर्सेस जैसे ही आईईडी को हटाने की कोशिश करती हैं, प्रेशर बम फट जाता है। इससे काफी नुकसान होता है। बता दें कि 27 फरवरी को दोरनापाल से करीब 7 किलोमीटर दूर इसी रास्ते पर नक्सलियों ने एक ब्रिज को ब्लास्ट के जरिए उड़ा दिया था।
सीआरपीएफ के जवान दोपहर में 12 बजे लंच के लिए बैठे थे। इसी दौरान करीब 300 नक्सलियों ने उन्हें घेरकर फायरिंग की। इनमें महिला नक्सली भी शामिल थीं। हमले में 25 जवान शहीद हो गए। कुछ नक्सली भी मारे गए थे। सुकमा में ही 11 मार्च को भी नक्सलियों ने सीआरपीएफ जवानों पर हमला किया था। इसमें 12 जवान शहीद हुए थे। नक्सली जवानों के हथियार भी लूट ले गए थे। 2010 में भी यहां बड़ा नक्सली हमला हुआ था। तब इसमें 76 जवान शहीद हुए थे।