अपनी मां की मौत पर मशहूर शायर मुनव्वर राना के अलफ़ाज़ थे-
‘मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं’
ऐसा कहने वाले मुनव्वर राना अब हमारे बीच नहीं हैं।
रविवार को देर रात मशहूर शायर मुनव्वर राना का निधन हो गया है। लखनऊ के पीजीआई में 71 वर्षीय शायर का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ। मुनव्वर राना लंबे समय से बीमार।
26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में जन्मे मुनव्वर राना का उर्दू साहित्य और कविता में खासा योगदान है। उनकी गजलों के लिए उन्हें व्यापक रूप से पहचाना गया। उनकी जिन पंक्तियों ने उन्हें लोकप्रियता दी वह ये थीं-
दुख भी ला सकती है लेकिन जनवरी अच्छी लगी,
जिस तरह बच्चों को जलती फुलझड़ी अच्छी लगी
रो रहे थे सब, तो मैं भी फूटकर रोने लगा
मुझको अपनी मां की, मैली ओढ़नी अच्छी लगी।
ये पंक्तियां जब सामने आयीं तो ऐसा वायरल हुईं कि देखते ही देखते मुनव्वर दुनियाभर में छा गए।’माँ’ पर इस शायर खूब खूब लिखा और यही उनकी पहचान का हिस्सा बन गया।
Munawwar Rana Death: ग़ज़ल को महबूबा के दामन से मां के आंचल में लाने वाला शायर https://t.co/i3a2Fv33HP
मेरी क़लम से. श्रद्धांजलि.— Raj Kumar Singh (@rajkumarspeaks) January 15, 2024
मुनव्वर राना के परिवार में उनकी पत्नी, चार बेटियां और एक बेटा है। बेटे तबरेज ने जानकारी दी कि बीमारी के चलते वह 14 से 15 दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें पहले लखनऊ के मेदांता और फिर एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने रविवार रात अंतिम सांस ली।
मुनव्वर राना को साहित्य अकादमी तथा माटी रतन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने असहिष्णुता के मुद्दे पर पुरस्कार लौटा दिया था। इसके अलावा उन्हें अमीर खुसरो पुरस्कार, मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार और सरस्वती समाज पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।