उत्तर भारत में इन दिनों कंजंक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू की महामारी हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही है। नेत्र रोग विशेषज्ञों के मुताबिक इस बीमारी की शिकायत लेकर रोजाना सैकड़ों मरीज अस्पतालों में आ रहे हैं, लेकिन इससे बचाव करना बहुत आसान है।
कंजंक्टिवाइटिस क्या है और यह क्यों होता है?
कंजंक्टिवाइटिस या आंखों का लाल होना, जिसे आमतौर पर आई फ्लू भी कहा जाता है। यह वायरल, बैक्टीरियल संक्रमण, एलर्जी और जलन सहित कई कारण से हो सकता है।
दुनिया भर में हर साल लाखों लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। जिस व्यक्ति को यह रोग हो जाता है तो उसकी आंखों के सफेद भाग में छोटी रक्त वाहिकाएं सूज जाती हैं, जिसके कारण आंखें लाल हो जाती हैं। यह रोग आंखों में जलन पैदा कर सकता है, लेकिन सामान्य परिस्थितियों में यह आंख की रौशनी को प्रभावित नहीं करता है।
इसके लक्षण क्या हैं?
प्रभावित व्यक्ति की एक या दोनों आंखों का लाल होना इसके सामान्य लक्षणों में से एक है, इसके अलावा आंखों में जलन, दर्द या खुजली, पलकों में सूजन, पलकों में चुभन, रोशनी में दिखाई न देना, आंखों से पानी आना आदि।
अगर ये रोग एलर्जी के कारण है, तो एंटी-एलर्जी लें और रोगी को जिस चीज से एलर्जी है, उससे दूर रखें। यदि यह बैक्टीरिया के कारण है, तो आंखों से स्राव हो सकता है, ऐसी स्थिति में रोगी को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। गंभीर होने की दशा में नज़र कमज़ोर होने का खतरा हो सकता है।
क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
आंखों में जलन होने पर प्रभावित व्यक्ति को आंखें नहीं रगड़नी चाहिए और दूसरों से हाथ मिलाने और गले मिलने से बचना चाहिए। साथ ही प्रभावित व्यक्ति को अपना साबुन, तौलिया, तकिया अलग रखना चाहिए और उन्हें साफ और गर्म पानी से धोना चाहिए। आंखों के तरल पदार्थ को टिश्यू या मुलायम मलमल के कपड़े से साफ करें और इसको किसी के संपर्क में आने से बचाएं।
संक्रमित व्यक्ति को काला चश्मा पहनना चाहिए और स्वस्थ लोगों से दूर रहना चाहिए, इससे संक्रमण को और फैलने से रोका जा सकता है।
यदि बच्चों में ये लक्षण दिखें तो माता-पिता को उन्हें स्कूल भेजने से बचना चाहिए और उपरोक्त सावधानियां बरतकर इस बीमारी को रोकने का प्रयास करना चाहिए। छोटे बच्चों में इंफेक्शन होने पर बुखार की भी शिकायत हो सकती है।
संक्रमण होने पर बीमारी को नियंत्रित करने के लिए घरेलू उपचार के बजाय तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
हालाँकि, चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है, एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस लगभग तीन से चार दिन में ठीक हो जाता है, लेकिन बैक्टीरियल इंफेक्शन होने पर दवा की आवश्यकता हो सकती है।