प्रत्येक वर्ष 9 सितंबर को हिमालय दिवस मनाया जाता है। हिमालय दिवस की शुरुआत इसे बचाने के मक़सद से की गई थी।
इसके महत्व को समझते हुए 2014 में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हिमालय दिवस की शुरुआतकी थी। उत्तराखंड में वर्ष 2010 और 2013 में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के बाद हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के उद्देश्य से इसे मनाया गया और त्रासदी में जान गवाने वालों के लिए समर्पित किया गया।
हिमालयी पारिस्थितिकी को बचाए रखने के लिए हिमालय दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने के पीछे हवा, पानी, जंगल और मिट्टी को बचाने का उद्देश्य है। जिससे पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा की जा सके।
हिमालय दिवस को मनाए जाने के पीछे हवा, पानी, जंगल और मिट्टी को बचाने का उद्देश्य है। आज का दिन हमें अपने पर्यावरण के प्रति सचेत रहने और अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
भौलिक स्थिति की बात करें तो पश्चिम-उत्तर पश्चिम से पूर्व-दक्षिण पूर्व तक फैले 2400 किलोमीटर तक फैला यह पर्वत एक ढाल की तरह सीमा पर न सिर्फ रखवाली की ज़िम्मेदारी निभाता है बल्कि खराब मौसम से बचाने के साथ हिमालय वन्यजीवों के संरक्षण में भी अपना योगदान देता है।
पर्यटन की दृष्टि से भी यह प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत समेटे हमारी धरोहर है। यहाँ से निकली नदिया देशभर को उपजाऊ बनाते होते जलस्रोत भी मुहैया कराती हैं। बेशकीमती जड़ी बूटियों को समेटे तमाम औषधियां अपने वनों में उगाने वाले इस पर्वत का धार्मिक महत्व भी है।
इस दिन का उद्देश्य हिमालय से जुड़े सभी राज्यों के लोगों को उनके साझा पर्यावरण के लिए एक मंच पर लाने का प्रयास है। हिमालय संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों में पेड़ लगाना, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना, टिकाऊ पर्यटन को बढ़ावा देना तथा स्थानीय समुदायों के साथ साझेदारी में रणनीति विकसित करना शामिल है।
विशेषज्ञों के मुताबिक़, हिमालय पर्वत श्रृंखला अभी भी प्रति वर्ष लगभग एक इंच की गति से बढ़ रही है, क्योंकि महाद्वीपों का स्थानांतरण जारी है, जिससे भारत और उत्तर की ओर बढ़ रहा है।
पृथ्वी का तीसरा ध्रुव कहलाने वाले हिमालय पर उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के बाद सबसे अधिक बर्फ मौजूद है। विश्व की सबसे युवा पर्वत श्रृंखला हिमालय है और इसका इतिहास लगभग 70 मिलियन वर्ष पुराना है। हिमालय की श्रंखला लगभग 4.2 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है। संसार की सबसे ऊंची चोटी में हिमालय की माउंट एवरेस्ट है और यह ऐसी बर्फ से ढकी है जो कभी नहीं पिघलती।
प्राकृतिक पर्यावरण को संरक्षित करने के उद्देश्य से हिमालय के इलाक़ों से सम्बंधित कई प्रयास भारत सरकार द्वारा किए जा रहे हैं। आज का दिन न केवल पहाड़ी इलाक़ों में निवास करने वालों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में एक वैश्विक संदेश भी देता है।