स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन ने 40 मिलियन से अधिक बच्चों के जन्म के आंकड़ों को देखा और माता-पिता की उम्र और बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण किया।
परिणामों से पता चला कि यदि पिता की उम्र 45 वर्ष है तो बच्चों को समय से पहले जन्म, कम वजन और प्रसवोत्तर चिकित्सा सहायता जैसे कि वेंटिलेशन या अन्य की आवश्यकता हो सकती है। अध्ययन के मुताबिक़ यदि पिता की आयु 45 वर्ष तक है, तो समय से पहले जन्म या जन्म के समय कम वजन का जोखिम 14% बढ़ जाता है।
शोधकर्ताओं का यह भी दावा है कि इस उम्र के पुरुषों की पत्नियों को गर्भावस्था के दौरान मातृ उच्च रक्त शर्करा के साथ समस्या हो सकती है क्योंकि वे उम्र के अनुसार पुरुषों के शुक्राणुओं में परिवर्तन करते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे नकारात्मक परिणामों से बचना संभव है और ये पुरुषों के हाथ में है।
इसके लिए ज़रूरी है कि जो लोग मध्य आयु में बच्चे चाहते हैं उन्हें पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
अभी तक महिलाओं से कहा जाता था कि वे बच्चे पैदा करने के लिए जीवन के तीसरे या चौथे दशक तक इंतजार न करें। शोध से यह तथ्य सामने आया है कि बच्चों की सेहत पर पिता की उम्र का भी असर पड़ता है। शोध के अनुसार मध्यम आयु वर्ग के पुरुषों के बच्चे जन्म से कमज़ोर होते हैं। यह दावा संयुक्त राज्य अमेरिका में एक चिकित्सा अध्ययन में किया गया था।