पाकिस्तान ने पंजाब प्रांत के सियालकोट में स्थित 500 साल पुराने गुरुद्वारे को भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया है। इससे पहले भारतीय सिख बाबे-दे-बेर गुरुद्वारे में दर्शन नहीं कर सकते थे। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में ऐसे कई गुरुद्वारे हैं, जहां भारत समेत दुनियाभर के सिख श्रद्धालु हर साल दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
पाकिस्तान के अलावा यूरोप, कनाडा और अमेरिकी सिखों को बाबे-दे-बेर गुरुद्वारे में जाने की इजाजत थी। अब भारतीय सिख श्रद्धालु भी इस गुरुद्वारे में दर्शन कर सकेंगे। पंजाब प्रांत के गवर्नर मोहम्मद सरवर ने राज्य सरकार के औकफ विभाग को भारत से आने वाले सिख श्रद्धालुओं को भी इस गुरुद्वारे में दर्शन करने की इजाजत देने का निर्देश दिया था।
बता दें कि हर साल हजारों भारतीय सिख श्रद्धालु गुरु नानक की जयंती और उनकी पुण्यतिथि पर पाकिस्तान आते हैं।
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— Caravan Daily (@CaravanDaily) July 1, 2019
हाल में भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर एक समझौता हुआ है। यह कॉरिडोर पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक को जोड़ता है।गुरुद्वारा बेर साहिब को बाबा बेरी या बाबा बेर भी कहते हैं। यहां गुरु नानक देव ठहरे थे और उन्होंने सियालकोट के मशहूर संत हमजा गौस से मुलाकात की थी। यहां आज भी उस वक्त का विशाल बेर का पेड़ मौजूद है। गुरुद्वारे का निर्माण नाथा सिंह ने कराया। यहां बड़ा बगीचा, फूल, कुआं और रहने के लिए कमरे भी हैं। इस गुरुद्वारे को बाबरी मस्जिद विवाद के बाद आंशिक रूप से नुकसान भी पहुंचाया गया था।