नीस में तीसरा यूएन महासागर सम्मेलन (UNOC3) का आयोजन 9-13 जून तक हो रहा है। आयोजन के दूसरे दिन यूएन प्रमुख ने इस संबंध में गम्भीर चेतावनी जारी की है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि महासागरों का दम घुट रहा है, और इसके लिए लालच, मुनाफ़ा कमाने की प्रवृत्ति ज़िम्मेदार है। फ़्राँस के नीस शहर में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान विश्व नेताओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि समुद्री जीवन के विध्वंस को रोकने के लिए शक्तिशाली हितों से टकराना होगा।
महासचिव के अनुसार, ग़ैरक़ानूनी ढंग से मछली पकड़े जाने, प्लास्टिक प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए तुरन्त क़दम उठाए जाने होंगे।
सम्मेलन में शिरकत करने के लिए वैज्ञानिक व नागरिक समाज के प्रतिनिधि सहित सैकड़ों नेता, सरकारी प्रतिनिधि जुटे हैं। आयोजन का लक्ष्य है: विश्व भर में, महासागरों के लिए बढ़ती आपात स्थिति से निपटना।
आयोजन में यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने ध्यान दिलाया कि हम नीस में एक मिशन पर आए हैं- “महासागर को बचाने के लिए, अपने भविष्य को बचाने के लिए।” उन्होंने आगाह किया कि हम जल्द ही एक ऐसे बिन्दु पर पहुँच सकते हैं, जहाँ से फिर वापसी कर पाना सम्भव नहीं होगा।
उनके अनुसार, महासागरों को इस कगार तक धकेलने वाला शत्रु, लालच है, जिसकी वजह से सन्देह उपजते हैं, सच्चाई को तोड़ा-मरोड़ा जाता है, भ्रष्टाचार को ईनाम मिलता है और मुनाफ़े के लिए जीवन को बर्बाद कर दिया जाता है। इस पर उनका कहना था- “हम लालच को हमारे ग्रह के भविष्य को तय करने की अनुमति नहीं दे सकते हैं।”
यूएन प्रमुख ने सभी हितधारकों से आग्रह किया कि उन्हें अपने दायित्व को समझना होगा और मुनाफ़े के लिए भूखी ताक़तों का विरोध करने में अहम भूमिका निभानी होगी।
महासचिव गुटेरेश ने देशों की सरकारों, व्यावसायिक नेताओं, मछुआरों, वैज्ञानिकों के लिए चार अहम प्राथमिकताएँ तय की हैं। उन्होंने कहा कि हर किसी के पास एक दायित्व है और एक अहम भूमिका भी।
यूएन प्रमुख ने सरकारों, व्यवसायियों, वैज्ञानिकों, मछुआरों समेत अन्य हितधारकों के नाम एक अपील जारी करते हुए निर्णायक संकल्पों व ठोस निवेश का आग्रह किया है.
महासागरों के उपयोग में रूपान्तरकारी बदलाव के हवाले से इसे केवल मछली पकड़ने तक सीमित न बताते हुए वर्ष 2030 तक महासागरों के 30 फ़ीसदी हिस्से को संरक्षित करने के वैश्विक लक्ष्य को पूरा करने पर ज़ोर दिया गया।
उच्च-समुद्र (High Seas) समझौता: राष्ट्रीय सीमाओं से परे, अन्तरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में समुद्री जैवविविधता के संरक्षण के लिए सन्धि पर मुहर और उसे लागू करना। सभी देशों को इस समझौते का हिस्सा बनना होगा और उसे अमल में लाना होगा।