लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने गृह जनपद गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में 30 बच्चों की मृत्यु को लेकर इन खबरों का आज खंडन किया कि बच्चों की मौत आक्सीजन की कमी के कारण हुई है। योगी ने मेडिकल कालेज के प्रिसिंपल को यह मुद्दा उनके समक्ष नहीं उठाने का दोषी करार दिया।
योगी ने कहा, अधिकारियों, बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल और पीडियाट्िरक वार्ड के प्रभारी के साथ बैठक में मैंने सबसे पूछा था कि भई आपका कोई इश्यू (मुददा) तो नहीं है । गोरखपुर में इंसेफेलाइटिस ही नहीं, डेंगू, स्वाइन फ्लू, चिकुनगुनिया और पडोस के बिहार राज्य से कालाजार की भी कुछ शिकायतें आती हैं …. (मैंने सबसे पूछा कि) आपकी क्या व्यवस्थाएं हैं । समस्याएं बताइये ।
शासन के स्तर पर क्या सहायता चाहते हैं … मेरे साथ कई विभागों के प्रमुख सचिव भी वहां मौजूद थे … लेकिन आक्सीजन आपूर्ति से जुड़ा मुद्दा मेरे संज्ञान में नहीं लाया गया । योगी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में ये जानकारी दी । उनके साथ केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल, उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन भी मौजूद थे ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर की उक्त बैठक में आक्सीजन को लेकर कोई जिक््र नहीं किया गया । हम लोगों की जानकारी में नहीं लाया गया। प्रिंसिपल उसी दिन रात रिषीकेश चले गये … प्रथम दृष्टया प्रिंसिपल को इसके लिए जिम्मेदार पाया गया और उन्हें निलंबित कर दिया गया है ।
योगी ने मीडिया से बच्चों की मृत्यु के प्रकरण को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने और सही आंकडे देने के लिए कहा । उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति आपूर्तिकर्ता की भूमिका सहित पूरे प्रकरण की जांच करके सप्ताह भर में रिपोर्ट देगी ।
आपूर्ति रोकने के संबंध में आक्सीजन आपूर्तिकर्ता के पत्र का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने धन पांच अगस्त को ही जारी कर दिया था । प्रिंसिपल को तत्काल भुगतान करवाना चाहिए था । उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि आपूर्तिकर्ता ने हर किसी को पत्र लिखा था ।
योगी ने कहा कि आपूर्तिकर्ता ने प्रिंसिपल को पत्र लिखा था । प्रिंसिपल ने महानिदेशक को पत्र लिखा और पांच अगस्त को धन जारी कर दिया गया । जब धन जारी कर दिया गया तो किसकी गलती है । भुगतान नहीं हुआ, इसमें गलती किसकी है, मंत्री की या प्रिंसिपल की … ।
मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी विपक्षी दलों की इस प्रकरण पर कडी प्रतिक््िरया के परिप्रेक्ष्य में आयी है । विपक्षी दल योगी और स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं । योगी ने वायदा किया कि किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और कडी कार्वाई होगी । अगर आक्सीजन की कमी मौत की वजह होती तो यह जघन्य कृत्य होता ।
उन्होंने कहा, यह मेरे लिए अत्यंत भावनात्मक मुद्दा है क्योंकि मैं लंबे समय से इस मुद्दे को उठाता रहा हूं । मैं 1998 से इस मुद्दे को लेकर लड़ रहा हूं इसलिए किसी को खिलवाड़ की छूट नहीं है … प्रकरण की मजिस्ट्रेट जांच भी हो रही है और रिपोर्ट मिलने पर सरकार कार्वाई करेगी ।
अनुप्रिया पटेल ने कहा, बीआरडी मेडिकल कालेज में छोटे बच्चों की मौत से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित हम सभी दुखी हैं । प्रधानमंत्री ने विशेष तौर पर मुझे गोरखपुर जाने के लिए निर्देश दिया है । उन्होंने कहा कि अगर कोई दोषी है तो सरकार कठोरता के साथ कार्वाई करेगी । मुख्य रूप से प्रिंसिपल का दोष पाया गया, उनकी भूमिका थी इसलिए उन्हें निलंबित किया गया ।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिंह ने मौतों का ब्यौरा देते हुए कहा कि कोई भी मौत आक्सीजन आपूर्ति बाधित होने के कारण नहीं हुई है । उन्होंने हालांकि स्वीकार किया कि 11 अगस्त को दो घंटे के लिए आक्सीजन आपूर्ति का दबाव (प्रेशर) कम था लेकिन उस अवधि में किसी मृत्यु की सूचना नहीं है ।
टंडन ने आपूर्तिकर्ता को भुगतान करने के लिए धन जारी किये जाने का ब्यौरा प्रस्तुत करते हुए बकाये के भुगतान में विलंब के लिए प्रिंसिपल को दोषी ठहराया। उन्होंने सवाल किया, क्या कोई कंपनी किसी भी परिस्थिति में जीवन रक्षक आक्सीजन की आपूर्ति रोक सकती है।