सरकार से अपनी मांगों को लेकर उत्तर भारत के किसान एक बार फिर बड़े आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं। इसके लिए 18 किसान संगठनों के नेता चंडीगढ़ के किसान भवन में जमा हुए।
केंद्र और पंजाब सरकार को घेरने के इरादे से एक बार फिर से किसान कमर कस रहे हैं। आंदोलन को कब और कहाँ से प्रारम्भ किये जाने के सवालों पर विमर्श किया जाना है और इसके लिए किसानों ने चंडीगढ़ के किसान भवन में बैठक की।
आंदोलन की रणनीति से जुड़ी जानकारी देने के लिए किसान संगठन प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जानकारी देंगे। अनुमान है कि एक बार फिर से ये किसान नेता न्यूनतम मूल्य के मुद्दे पर केंद्र सरकार का घेराव करने का इरादा कर रहे हैं।
क्या फिर दिल्ली कूच करेंगे किसान संगठन? बड़े आंदोलन के दिए संकेत!https://t.co/7FZwVbrhkY
— NewsClick (@newsclickin) December 12, 2023
किसान नेताओं की शिकायत है कि किसान आंदोलन के समय उनसे किये गए वादे अभी तक पूरे नहीं किए गए हैं। साथ ही इन किसानों की राज्य सरकारों से भी कुछ मांगें हैं।
गौरतलब है कि तीन साल पहले दिल्ली की सीमा पर जून 2020 में केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा तीन नए कृषि कानून के विरोध में इन किसानों ने आंदोलन किया था। इस बीच केंद्र सरकार और किसानों के बीच होने वाली कई विफल वार्ताओं के बाद आखिरकार सरकार ने इनकी मांगे पूरी किये जाने का आश्वासन दिया था। किसानों को शिकायत है कि उनसे किए गए वादे पूरे नहीं किए गए, इस वजह से उन्हें बार-बार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना पड़ता है।
पिछले दिनों पंजाब के किसानों ने गन्ने की मूल्य वृद्धि के लिए भगवंत मान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में उन्होंने हाईवे सहित रेलवे लाइन पर भी धरना दिया गया था। तब मुख्यमंत्री भगवंत मान सिंह द्वारा उन्हें गन्ने के दाम बढ़ाने का आश्वासन दिए जाने के बाद ही इन किसानों ने अपना आंदोलन वापस लिया था।