देश में सभी को हर समय बिजली मुहैया कराने के लिए प्रोडक्शन और ट्रांसमिशन इन्फ्रॉस्ट्रक्चर को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है। एक अनुमान के अनुसार 2025 में गर्मियों के मौसम में बिजली की अधिकतम मांग 270 गीगावाट तक पहुंच जाने की संभावना है।
बिजली की मांग का यह लक्ष्य मई 2024 में 250 गीगावाट और सितंबर 2023 के 243 गीगावाट के रिकॉर्ड उच्च स्तर से अधिक है। अनुमान के मुताबिक़ साल 2035 तक बिजली की अधिकतम मांग 446 गीगावाट के स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है।
इसके लिए भारत अधिक कोयला आधारित और पनबिजली संयंत्र स्थापित करेगा साथ ही इंफ़्रा स्ट्रक्चर को भी मजबूत किया जाएगा ताकि 2025 में सभी को चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य पूरा किया जा सके।
सरकार ने बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इसके उत्पादन क्षमता में वृद्धि और इंफ़्रा स्ट्रक्चर के विस्तार के लिए एक बड़ी योजना को लक्ष्य बनाते हुए तैयारी की है।
इस संबंध में बिजली राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक का कहना है कि सरकार बढ़ती मांग को देखते हुए बिजली क्षेत्र की विस्तार योजना का समर्थन करने के लिए तैयार है।
इस समय करीब 24.22 गीगावाट की पनबिजली परियोजना के साथ 50.76 गीगावाट की पीएसपी योजना पर विभिन्न चरणों में पूरा किए जाने पर काम चल रहा है। इसे साल 2031-32 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए राज्यों के सहयोग से बिजली मंत्रालय ने साल 2031-32 तक लगभग 80 गीगावाट की योजना तैयार की है। साथ ही 14 गीगावाट की पनबिजली परियोजना एवं 6,050 मेगावाट की पंप भंडारण परियोजनाओं पर भी कार्य जारी है।
इसी क्रम में करीब 7,300 मेगावाट परमाणु क्षमता निर्माणाधीन है जबकि 7,000 मेगावाट योजना और अनुमोदन के विभिन्न चरणों में है। इतना ही नहीं, साल 2030 तक सरकार 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन के लिए लगभग 300 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता भी जोड़ेगी।
सरकार द्वारा साल 2032 तक अतिरिक्त विद्युत उत्पादन क्षमता से बिजली निकालने के लिए बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने की खातिर इंफ़्रा स्ट्रक्चर को बढ़ाने के उद्देश्य से 9.16 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना तैयार की है।