आयुष चिकित्सा प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए किये गए प्रयासों से पांच देशों में शैक्षणिक पीठ खोले गए हैं। इसके साथ ही आयुष चिकित्सा प्रणाली को वैश्विक स्तर तक पहुंचाने की मुहिम पर भी काम हुआ है। पीठ का उद्देश्य आयुष के बारे में अकादमिक आदान-प्रदान, अनुसंधान और जन जागरूकता को बढ़ावा देना है।
आयुष मंत्रालय अन्य देशों के साथ बातचीत करते हुए विशेषज्ञों और सूचनाओं का आदान-प्रदान करना है। इस एकेडमिक चेयर यानी शैक्षणिक पीठ द्वारा आयुष संबंधी अकादमिक आदान-प्रदान, अनुसंधान और जन जागरूकता को बढ़ाने के लिए प्रयास किया जाएगा।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, आयुष पीठ की स्थापना द्विपक्षीय प्रयासों से या किसी विदेशी संस्थान की आयुष पीठ की मेजबानी करने की इच्छा से होती है। तत्पश्चात विदेशी विश्वविद्यालय और आयुष मंत्रालय के तहत आने वाले संस्थान के बीच एक चेयर एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाते हैं।
आयुष पीठ योजना का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष चिकित्सा प्रणालियों के बारे में जागरूकता के साथ आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी को भी बढ़ावा देना है।
आयुष राज्य मंत्री, अपेक्षित योग्यता वाले आयुष विशेषज्ञ को इसके लिए चयनित किया जाता है और फिर चेयर को विदेशी विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्ती मिलती है।
भारत सहित बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस, लातविया और मलेशिया में अब अकादमिक पीठ की शुरुआत के साथ ही आयुष चिकित्सा प्रणाली अब वैश्विक स्तर पर अपनी व्यापकता के साथ स्थापित हुई है।
आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने संसद में बीते दिन इसकी जानकारी दी। उनके मुताबिक़, विदेशी संस्थानों में आयुष पीठ की पहल, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के भारत के व्यापक प्रयासों का एक हिस्सा है।
राज्यसभा में अपनी बात में जाधव ने विदेशी विश्वविद्यालयों में आयुष पीठों की स्थापना को अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अनुसंधान को बढ़ावा देने वाला तथा आयुष के लाभों को आगे तक पहुँचाने वाली महत्वपूर्ण रणनीति बताया है।
राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में आयुष्मंत्री ने बताया कि आयुष मंत्रालय ने आयुष के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र योजना विकसित की है। आगे उन्होंने बताया कि ‘इस योजना का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष चिकित्सा प्रणालियों के बारे में जागरूकता और रुचि को बढ़ावा देने के साथ आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी को भी बढ़ावा देना है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष के लिए बाजार विकसित करना भी इसका उद्देश्य है।