एक नए अध्ययन से पता चला है कि हमारी धरती की मिट्टी लगातार गर्म होकर सूखने लगी है , जिससे पौधों और जीवों पर संकट बढ़ने लगा है।
अध्ययन के मुताबिक़, लगातार जंगलों के घटने और नमी वाली जमीन को कृषि भूमि में बदले जाने के कारण एससीडीएचडब्ल्यू (सॉइल कंपाउंड ड्राउथ हीटवेव) का खतरा और बढ़ जाएगा।
पारिस्थितिकी तंत्र में मिट्टी बहुत अहम भूमिका निभाती है। यह पौधों की जड़ों को सहारा देने के साथ कई सूक्ष्मजीवों को आश्रय भी देती है। बेहद सूखी या अत्यधिक नम मिट्टी पौधों व जीवों में बीमारियों को बढ़ाती है।
सूखे और भयंकर गर्मी का मिट्टी पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा है। इसने जहाँ एक ओर जल चक्र को प्रभावित किया है वहीँ पौधों की संख्या भी घटने लगी है। इसके नतीजे में बारिश भी घटी है।
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित यह अध्ययन चीनी अकादमी ऑफ साइंसेज के नानजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ ज्योग्राफी एंड लिम्नोलॉजी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।
इस शोध में 1980 से 2023 तक दुनियाभर में मिट्टी पर सूखे और भयंकर गर्मी के प्रभाव का जायज़ा लिया गया है। इसे ही सॉइल कंपाउंड ड्राउथ हीटवेव कहा जाता है। अध्ययन के आधार पर यह पूर्वानुमान जारी किया गया है कि इस सदी के अंत तक एससीडीएचडब्ल्यू किस तरह और बढ़ेगी।
जहाँ एक ओर नमी वाली जमीन को कृषि भूमि में बदलने से मिट्टी के सूखने और गर्म होने की घटनाएं बढ़ रही हैं वहीँ खेती में रसायनों का अंधाधुंध इस्तेमाल के कारण भी मिट्टी अधिक अम्लीय होती जा रही है। इसके प्रभाव में यह गर्म होने के साथ जल्दी टूट भी रही है।
क्योंकि अपनी विशेषता के अनुसार मिट्टी का तापमान सर्दियों में गर्म और गर्मी में ठंडा होता है। अध्ययन बताता है कि मिट्टी के सूखने और गर्म होने की अवधि गर्मी के मौसम पर आधारित है जो जल सुरक्षा चक्र के लिए भी एक भारी चुनौती है।