लखनऊ। मोदी सरकार के 500 और 1000 के नोट बंद करने के ऐलान पर जहां एक तरफ आम लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है वहीं इस पर राजनीति भी जमकर हो रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में अघोषित आर्थिक आपातकाल लगा दी है। सरकार के फैसले के बाद लोग घरों से घबराकर बाहर निकले। पेट्रोल पंपों, अस्पतालों, एटीएम, दुकानों में अफरातफरी का माहौल बना। लोगों में त्राहि-त्राहि मची हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार का ये फैसला जनहित और देशहित का फैसला नहीं है। economic emergency
मायावती ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि मोदी की नीयत साफ नहीं है। अगर ऐसा नहीं होता तो आखिर ढाई साल के बाद केंद्र सरकार को कालेधन की याद क्यों आई है और उसने नोट बंद करने का फैसला किया है? इससे पहले सरकार को कालाधन की चिंता क्यों नहीं हुई। उन्होंने सरकार के इस फैसले को स्वार्थपूर्ण बताया।
उन्होंने कहा कि इनके चाल, चरित्र और नीयत में कोई परिवर्तन नहीं आया है। मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के ढाई साल पूरे कर लिये हैं, लेकिन इतने समय में भी सरकार ने चुनाव से पूर्व किये गये अपने वादों में से एक चौथाई भी पूरा नहीं किया है। मायावती ने आरोप लगाया कि ऐसी चर्चा देश में आम है कि नरेंद्र मोदी पूंजीपतियों की मदद करती है, उसे आम जनता से कोई लेना-देना नहीं है। सरकार के इस फैसले से मुंबई और गुजरात के लोगों को फायदा होगा।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा सरकार के इस फैसले को काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक बताने पर मायावती ने कहा कि यह उनकी अंध भक्ति है। सरकार काला धन जमा करने वालों के नाम बताएं। मायावती ने कहा कि बीजेपी ने अपनी पार्टी को आर्थिक मजबूती देने के लिए पैसा बाहर भेज कर ये फैसला लिया है। मोदी ने जो गरीब हैं उनका दुःख कभी नहीं समझा। मोदी खुद अपर कास्ट हैं लेकिन बैकवर्ड क्लास का फायदा लेने और अधिकारों में कटौती के लिए उन्होंने खुद को ओबीसी बताया।
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जो सरकार के हर फैसले पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं अब तक इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी थी। उन्होंने पेटीएम के विज्ञापन पर मोदी की तस्वीर छपने को शर्मनाक बताया है।