राष्ट्रपति चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी की ओर से आदिवासी नेता और पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का नाम तय किया गया है। पार्टी के इस फैसले को राजनीतिक विश्लेषक एक बड़ा राजनीतिक दांव मान रहे हैं।
द्रौपदी मुर्मू अगर राष्ट्रपति चुनाव जीत जाती हैं तो देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति होंगी। ऐसा होने पर भाजपा को देशभर की लगभग नौ फीसद आदिवासी आबादी का समर्थन मिल जायेगा। अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) के लिए लोकसभा में 47 और विभिन्न विधानसभाओं में 487 सीटें रिजर्व हैं। ये सीट द्रौपदी मुर्मू को देने के साथ भाजपा दूर की कौड़ी लाई है। इसका लाभ भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव में तो मिलेगा ही इस बीच होने वाले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा इसे भिनने में सफल रहेगी।
जनसंख्या के हिसाब से देखें तो देश की आबादी में लगभग नौ फीसद लगभग 10 करोड़ जनता आदिवासी समुदाय की है। इसे राजनीतिक रूप से काफी सशक्त माना जाता है। वैसे तो इस समुदाय के लिए आरक्षित लोकसभा की सीटों की संख्या 47 हैं, मगर इसका सीधा असर तकरीबन 100 सीटों पर नजर आता है। इसके अलावा विभिन्न विधानसभाओं में आरक्षित सीटों की संख्या 487 है, लेकिन कई अन्य विधानसभा सीटों पर भी इस समुदाय का व्यापक प्रभाव है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 में से 31 सीटें जीती थीं। यकीनन इस दांव के साथ एक बार फिर कोशिश इस संख्या को और बढ़ाने की होगी।