लखनऊ : बसपा मुखिया मायावती द्वारा जिक्र करने के साथ ही उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन का मुद्दा एक बार फिर सूबे की राजनीति के केंद्र में आ गया है। Division
मायावती ने रविवार (26 फरवरी) को गोरखपुर में आयोजित एक जनसभा में कहा था कि अगर प्रदेश में बसपा की सरकार आती है तो वह उत्तर प्रदेश को पूर्वांचल समेत चार छोटे राज्यों में बांट देगी।
पूर्वांचल का प्रमुख हिस्सा माना जाने वाला गोरखपुर विकास की दौड़ में काफी पीछे है। यहां छठे चरण के तहत आगामी चार मार्च को मतदान होगा।
मायावती ने वर्ष 2011 में अपने मुख्यमंत्रित्वकाल के दौरान उत्तर प्रदेश को पश्चिम प्रदेश, पूर्वांचल, बुंदेलखण्ड और अवध प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित कराकर केंद्र के पास भेजा था, जो अब भी लम्बित है।
मायावती ने गोरखपुर में कहा था कि अलग प्रदेश का गठन किये बगैर पूर्वांचल का विकास सम्भव नहीं है। अगर बसपा सत्ता में आती है तो इस दिशा में प्रयास किये जाएंगे।
उन्होंने कहा था कि इस चुनाव में आपके पास उस कांग्रेस, भाजपा और सपा को सजा देने का मौका है, जो अलग पूर्वांचल राज्य के गठन का विरोध कर रही हैं।
हालांकि प्रदेश के पुनर्गठन की मांग पहले भी उठती रही है लेकिन बसपा सरकार ने इस दिशा में कदम उठाते हुए इस सिलसिले में प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। मगर वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा के सत्ता से बाहर होने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
भाजपा नीत संप्रग सरकार ने उत्तर प्रदेश को काटकर उत्तराखण्ड, बिहार को काटकर झारखण्ड और मध्य प्रदेश को काटकर छत्तीसगढ़ बनाया था।
माना जा रहा था कि वह उत्तर प्रदेश को चार हिस्सों में बांटने की दिशा में आगे बढ़ेगी, लेकिन इस बार के चुनाव घोषणापत्र में उसने इसका जिक्र तक नहीं किया है।
उत्तर प्रदेश के बंटवारे का शुरू से ही विरोध कर रही समाजवादी पार्टी भी इस मुद्दे पर एक शब्द नहीं बोल रही है। क्योंकि उसे डर है कि कहीं इस मुद्दे से राष्ट्रीय लोकदल और बसपा को फायदा ना हो जाए।
भाजपा के चुनाव घोषणापत्र में अलग पूर्वांचल या बुंदेलखण्ड के गठन की बात तो नहीं कही गयी है लेकिन इन दोनों ही क्षेत्रों के विकास के लिये बोर्ड बनाने का वादा जरूर किया गया है।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि अब तक हरित प्रदेश बनाने की मांग पुरजोर ढंग से उठाते रहे राष्ट्रीय लोकदल की जबान भी इस बार इस मुद्दे पर कोई हरकत नहीं कर रही है।